उच्च शिक्षा में सीटों की समस्या खत्म होगी: पीएम

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022-23 के बजट में नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी की घोषणा को बेहद अहम कदम बताते हुए सोमवार को कहा कि वह इसकी ताकत को देख रहे हैं। इसके चलते देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए सीटों की कमी की समस्या खत्म हो जाएगी। किसी भी विषय के लिए सीटें सीमित नहीं होंगी। कल्पना की जा सकती है कि शिक्षा के क्षेत्र में इससे कितना बड़ा परिवर्तन आएगा। 




प्रधानमंत्री मोदी ‘पोस्ट बजट : फोस्टरिंग स्ट्रांग इंडस्ट्री-स्किल लिंकेज’ पर एक वेबिनार में इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, उद्योगों के प्रतिनिधियों, शिक्षकों और आला अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बजट में फोकस वाले पांच बिंदुओं को सामने रखा जिनमें शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना, कौशल विकास, अर्बन प्लानिंग एवं डिजाइन, विश्वस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों के सेंटर खोलने और एवीजीसी (एनिमेशन विजुअल इफेक्ट्स गेमिंग कामिक) आदि शामिल हैं।



 नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) सहित शिक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे इस घोषणा को तेजी से अमल में लाएं। साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि यह डिजिटल यूनिवर्सिटी विश्वस्तरीय मानकों को लेकर चले। विश्व मातृ भाषा दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री ने मातृ भाषा में शिक्षा देने की पहल को तेजी से आगे बढ़ाने और कौशल विकास की दिशा में उद्योगों व वैश्विक जरूरत को समझते हुए तेजी से काम करने पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, क्या कभी हमने सोचा है कि जिस देश में नालंदा, तक्षशिला जैसे उच्च शिक्षण संस्थान रहे हों, उनके बच्चे आज पढ़ाई के लिए विदेश जाने के लिए मजबूर हैं। क्या यह ठीक है। 



हम देश में ही दुनियाभर की यूनिवर्सिटी को लाकर अपने बच्चों को कम खर्च में पढ़ाई करा सकते हैं। देश के युवाओं और उनसे जुड़े विभागों को बड़ा संदेश देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा देश का भविष्य हैं, इन्हें हमें सक्षम बनाना होगा। इन्हें सक्षम करने का मतलब है, देश के भविष्य को मजबूत करना। सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में इसी सोच को सामने रखा है। यह बजट राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में भी मदद करेगा। 



उन्होंने कहा, ‘ई-विद्या हो या वन क्लास वन चैनल, डिजिटल लैब्स या फिर डिजिटल यूनिवर्सिटी, शिक्षा के ऐसे ढांचे युवाओं की काफी मदद करेंगे।’ उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग बजट से जुड़ी घोषणाओं पर तेजी से अमल करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड संकट आने के पहले से ही वह देश में डिजिटल फ्यूचर की बात कर रहे थे। जब गांवों को आप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा रहा था, उस समय कुछ लोग इस पर सवाल उठा रहे थे। लेकिन कोविड महामारी के समय इन प्रयासों की अहमियत सभी की समझ में आई। ये डिजिटल कनेक्टिविटी ही है जिसने इस वैश्विक महामारी में भी हमारी शिक्षा व्यवस्था को बचाए रखा। अब देश में डिजिटल असमानता में तेजी से कमी आ रही है।