ड्रेस का पैसा अभिभावकों ने गायब कर दिया, अब दोबारा डिमांड

बेसिक स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को ड्रेस, स्वेटर, जूते-मौजे व बैग खरीदने के लिए दिए जा रहे 1100-1100 रुपये अभिभावक चट कर गए हैं। विभाग फोन पर अभिभावकों से जानकारी ले रहा है तो जवाब मिल रहा है कि बच्चों के पास पिछले साल की ड्रेस व पूरा सामान है। बताया जा रहा है कि 30 फीसदी अभिभावकों ने राशि का दूसरे खर्चों में प्रयोग किया है। परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को शासन द्वारा पहले ड्रेस, जूते-मौजे, स्वेटर व बैग दिया जाता था, मगर इस बार शासन ने इसे खरीदने के लिए सीधे अभिभावकों के खातों में 1100-1100 रुपये की राशि डीबीटी से भेजी है। स्कूल बंद होने से पहले बच्चे पुरानी ड्रेस और स्वेटर में आ रहे थे, बताया गया कि अभी तक अभिभावकों ने बच्चों को सामान नहीं दिलाया है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार पंजीकृत 2.72 लाख 389 में से 1.57 लाख 321 बच्चों के अभिभावकों के खातों में राशि जा चुकी है, मगर इसमें काफी अभिभावकों ने बच्चों को सामान नहीं दिलाया है।



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दोबार कर रहे पैसों की मांग

बच्चों के अभिभावक पैसा खर्च करने के बाद अब विभाग से दोबारा मांग कर रहे हैं। कई अभिभावकों ने विभाग में प्रार्थना पत्र दिया है, इसके अलावा कुछ अभिभाक पोर्टल पर पैसा न आने की शिकायत कर रहे हैं। विभाग ने जब शिकायत करने वाले अभिभावकों के बारे में जांच पड़ताल की तो पता चला कि खातों में पैसा आ गया और उनके द्वारा राशि को निकाल भी लिया गया है, मगर बच्चों को सामान नहीं दिलाया।

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खातों में भेजी धनराशि पर एक नजर

पंजीकृत छात्र --- 2,72,389

खातों में आई धनराशि --- 1,57,329

सस्पेक्ट खातों की संख्या --- 10,067

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35 हजार खाते नहीं लिंक

विभाग के अनुसार 35,067 अभिभावकों के खाते ऐसे हैं, जो आधार से लिंक नहीं हैं। खातों को डीबीटी पर अपलोड किया गया था। इसमें 28,430 खातों में राशि भेज दी है मगर खाते सीड न होने के कारण धनराशि एनपीसीआई में पेडिंग है, आधार से लिंक होने के बाद इन खातों में राशि आएगी। इसके अलावा 11,067 छात्रों के राशि दो दिन पहले प्रेषित हुई है।


जिन अभिभावकों ने बच्चों को सामान नहीं दिलाया है, वह तत्काल खरीदवा दें। पूरा डाटा एकत्र किया जा रहा है। यदि किसी अभिभावक ने कोई गड़बड़ी की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। शिक्षकों से रिपोर्ट ली जा रही है। शासन से राशि केवल एक बार मिलेगी।

-अखंड प्रताप सिंह, बीएसए