लखनऊ। 69 हजार शिक्षक भर्ती के एक अंक विवाद में दाखिल अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने पहले के आदेश के तहत सरकार की ओर से अपनाई जा रही कार्रवाई की प्रक्रिया का ब्योरा पेश करने को सप्ताह भर का समय दिया है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव दीपक कुमार व अन्य पक्षकारों से रिट कोर्ट के 20 दिसंबर, 2021 के फैसले के तहत प्रस्तावित कार्रवाई की प्रकिया का ब्योरा मांगा था। इसे बीते मंगलवार को सरकार की ओर से पेश नहीं किया गया। सरकारी वकील ने इसके लिए सप्ताह भर का और समय मांगा जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने यह आदेश अभ्यर्थी सुरंगमा शुक्ला की अवमानना याचिका पर दिया। याची का कहना था कि 20 दिसंबर, 2021 को शैक्षिक परिभाषा वाले प्रश्न पर रिट कोर्ट ने न्यायालय की शरण में आए अभ्यर्थियों को 1 अतिरिक्त अंक प्रदान करते हुए मेरिट के अनुसार नियुक्ति का आदेश दिया था। इसके करीब साल भर बाद भी आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है। जबकि इस फैसले के खिलाफ सरकार की विशेष अनुमति याचिका खारिज होने के बाद रिट कोर्ट का निर्णय पुष्ट हो गया है। इससे करीब एक हजार अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में है। इसे रिट कोर्ट के आदेश की अवहेलना कहते हुए यह अवमानना याचिका दाखिल की गई।
उधर, सरकारी वकील ने कहा था कि विभागीय पक्षकार इन अभ्यर्थियों को 1 अतिरिक्त अंक प्रदान करने की प्रक्रिया में थे, लेकिन इसी बीच बीते 13 मार्च को सवा सौ याचिकाओं को निर्णीत करते हुए रिट कोर्ट ने 1 जून, 2020 की चयन सूची को पुनरीक्षित किए जाने का आदेश दिया। इसमें याची का भी सरोकार जुड़ा है।