: अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति का विरोध तेज होने का असर दिखने लगा है। अब बीच का रास्ता निकालकर उनसे एक निश्चित मानदेय पर सेवाएं लेने की योजना बनी है। इनसे मानदेय पर सेवाएं लेने के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भेजा है।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में 25 वर्षों से अधिक समय से सेवाएं दे रहे 1,661 तदर्थ शिक्षकों को बीते नौ नवंबर को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सेवा समाप्त होने के बाद से शिक्षक आंदोलनरत हैं और अब विभाग इन्हें कुछ राहत देने की तैयारी कर रहा है। शिक्षकों का नुकसान न हो इस पर पूरा जोर दिया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से शासन को वैकल्पिक व्यवस्था करने का प्रस्ताव भेजा गया है।
एडेड माध्यमिक स्कूलों के 1,111 तदर्थ शिक्षकों को पिछले 17 महीने से वेतन नहीं मिल रहा था और इन्हें बकाया वेतन देने के आदेश जारी किए गए हैं। वहीं 550 तदर्थ शिक्षक जिन्हें वेतन मिल रहा था, उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। अब इनके सामने जीवन-यापन का संकट खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के तदर्थवाद को समाप्त करने के आदेश और प्रबंधतंत्र की मनमाने ढंग से की गई भर्ती के चलते माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इनको सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय उपाध्यक्ष व प्रवक्ता डा. आरपी मिश्रा कहते हैं कि मानवता के आधार पर इन शिक्षकों से सेवाएं ली जाएं, क्योंकि तमाम शिक्षक ऐसे हैं जिनके रिटायर होने में अब पांच-सात साल का समय बचा है। सदस्य विधान परिषद शिक्षक नेता उमेश द्विवेदी कहते हैं। कि तदर्थ शिक्षकों के लिए शासन कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहा है। अभी तो यह एक शिक्षक के तौर पर पूरा वेतन पाते हैं, लेकिन नौकरी बचाने के लिए 35 हजार से 37 हजार रुपये प्रति माह मानदेय पर रखने के प्रस्ताव पर मंथन किया जा रहा है।