शब्दकोश की तरह छपेगी क्षेत्रीय बोलियों की पुस्तक, बुंदेली, ब्रज, अवधी और भोजपुरी में तैयार पुस्तक प्रयोग के लिए विद्यालयों में निःशुल्क होगी उपलब्ध

 शब्दकोश की तरह छपेगी क्षेत्रीय बोलियों की पुस्तक, बुंदेली, ब्रज, अवधी और भोजपुरी में तैयार पुस्तक प्रयोग के लिए विद्यालयों में निःशुल्क होगी उपलब्ध


राज्य शिक्षा संस्थान ने बुंदेली, ब्रज, अवधी, भोजपुरी में तैयार कराया है


विद्यालयों में मिलेगी निश्शुल्क, विक्रय के लिए बाजार में भी उपलब्ध होगी


कुल 33,400 शब्दों में तैयार चार वोलियों के शब्दकोश को छोटा करने की है तैयारी



प्रयागराज : कुल 33,400 शब्दों में तैयार कराए गए चार बोलियों के शब्दकोश का आकार कुछ छोटा किया जाएगा, ताकि रखरखाव और सदुपयोग करने में आसानी रहे। अभी यह आमतौर पर प्रयुक्त होने वाले हिंदी या अंग्रेजी शब्दकोश की पुस्तक के आकार से बड़ा है। 



बुंदेली, ब्रज, अवधी और भोजपुरी शब्दों में अलग-अलग तैयार शब्दकोश की पुस्तक शिक्षकों के प्रयोग के लिए विद्यालयों में निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इसके माध्यम से वहां नियुक्त शिक्षक वहां की क्षेत्रीय बोली को समझकर विद्यार्थियों को आसानी से पढ़ा और समझा सकेंगे।






 महानिदेशक (डीजी) स्कूली शिक्षा विजय किरन आनंद की पहल पर राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर के निर्देशन में बुंदेली, ब्रज, अवधी और भोजपुरी शब्दों में अलग-अलग शब्दकोश तैयार कराया गया है। सबसे ज्यादा करीब 10,300 शब्द बुंदेली के हैं। इसी तरह भोजपुरी में 9,120, अवधी में करीब 7,920 तथा ब्रज शब्दकोश में करीब 6000 शब्द हैं।



बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह लखनऊ में इसका उद्घाटन कर चुके हैं। अभी पुस्तक जैसा आकार होने से यह बड़ा है, जिसे प्रचलित शब्दकोशों के आकार में करते हुए कुछ छोटा करने के निर्देश दिए गए हैं। इसे विक्रय के लिए बाजार में भी उपलब्ध कराए जाने की तैयारी है। अभी मूल्य तय नहीं किया गया है। नए आकार में प्रकाशन कराए जाने में होने वाले व्यय को ध्यान में रखकर मूल्य निर्धारित किया जाएगा।



इस शब्दकोश के माध्यम से जहां क्षेत्रीय बोली को हर कोई आसानी से समझ सकेगा, वहीं क्षेत्रीय बोली को बढ़ावा भी मिलेगा। राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य ने बताया कि बाजार से क्रय कर कोई भी इसे पढ़ सकेगा। इससे क्षेत्रीय बोली और पुष्पित पल्लवित होगी।