वर्तमान आयकर विधेयक में प्रावधान है कि कोई करदाता तय समय सीमा के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करता है, तो उसे टैक्स रिफंड का लाभ नहीं मिलेगा। लोकसभा की चयन समिति ने इस नियम को नरम करने की सिफारिश की है, जिससे देर से रिटर्न भरने वालों को भी रिफंड मिल सकेगा।
सरकार नए आयकर कानून-2025 को संसद के मानसून सत्र में लोकसभा की चयन समिति के सुझाए 285 संशोधनों के साथ पारित कराने की तैयारी कर रही है। अगर इन्हें मंजूरी मिलती है तो कई पुराने प्रावधान जारी रह सकते हैं, जिनसे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी।
गौरतलब है कि सरकार ने इस साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया था। तब इसे चयन सीमित के पास समीक्षा के लिए भेजा गया था। समिति की रिपोर्ट 21 जुलाई को लोकसभा में पेश की जाएगी। मानसून सत्र के दौरान इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा होने और इसके पारित होने की संभावना है।
क्या है मकसद : वर्तमान में देश में आयकर अधिनियम-1961 लागू है, जो पिछले 60 सालों में 65 बार संशोधित हो चुका है। इसकी धाराओं में चार हजार से अधिक बार बदलाव किया गया है, जिससे यह कानून बेहद कठिन हो गया है। सरकार का उद्देश्य इस पुराने कानून की जगह एक सरल, पारदर्शी और करदाताओं के लिए आसान कर प्रणाली तैयार करना है। नया कानून टैक्स की भाषा को आसान बनाएगा, दोहरे प्रावधानों को हटाएगा और प्रक्रियाओं को स्वचालित व डिजिटल बनाएगा ताकि करदाता खुद भी आसानी से अपना टैक्स समझ सकें। सरकार का लक्ष्य है कि इस विधेयक को 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाए। इस बदलाव के बाद कर से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं जैसे रिटर्न, नोटिस, अपील और छूट के प्रावधान तक एकदम नए ढांचे में होंगे।
धारा 80ए की बहाली
नए आयकर विधेयक में धारा 80ए को शामिल नहीं किया गया था, जो कंपनियों को इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर कर छूट देती थी। इसे फिर से शामिल करने की सिफारिश है ताकि कंपनियों पर कर कम हो और उन्हें लाभांश पर अतिरिक्त कर न देना पड़े।
शून्य टीडीएस की सुविधा
वर्तमान प्रस्तावित आयकर विधेयक में केवल कम टीडीएस कटौती प्रमाण पत्र की अनुमति दी गई है। लेकिन लोकसभा की चयन समिति चाहती है कि करदाता शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र भी प्राप्त कर सकें, जिससे टैक्स कटौती से बचा जा सके।