उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जून 2025 में किए गए सरप्लस शिक्षकों के समायोजन को तीन महीने बाद रद्द कर दिया गया है। विभाग ने सभी जिलों में नोटिस जारी कर शिक्षकों को उनके मूल विद्यालय में लौटने का आदेश दिया है। इस फैसले के खिलाफ कई शिक्षक इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए हैं।
जून में हुआ था 7095 सरप्लस शिक्षकों का समायोजन
26 जून 2025 को राज्यभर में शिक्षकों का अंतरजनपदीय समायोजन किया गया था। तब शिक्षक-छात्र अनुपात अधिक होने वाले स्कूलों से उन्हें कम शिक्षक वाले विद्यालयों में भेजा गया था। जुलाई में शिक्षकों ने नए विद्यालयों में कार्यभार भी संभाल लिया था। शिक्षा निदेशालय के अनुसार, उस समय प्रदेशभर में कुल 7095 शिक्षक सरप्लस थे — इनमें 3951 प्राइमरी और 3144 जूनियर शिक्षक शामिल थे।
### तीन महीने बाद वापसी का आदेश
नए विद्यालयों में तीन महीने से कार्यरत शिक्षक अब पुनः अपने मूल विद्यालयों में लौटने के आदेश से परेशान हैं। कई शिक्षक अपने परिवारों के साथ नई जगह पर शिफ्ट हो चुके हैं और बच्चों का एडमिशन भी नजदीकी स्कूलों में करा चुके हैं। उनका कहना है कि अब ट्रांसफर रद्द होने से पूरा परिवार प्रभावित होगा और बीच सत्र में शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।
शिक्षकों का विरोध और हाईकोर्ट की शरण
शिक्षक संगठनों ने इसे *"बीच सत्र में लिया गया अनुचित निर्णय"* बताया है। उनका कहना है कि तीन महीने से वे नई जगहों पर शिक्षण कार्य कर रहे हैं, ऐसे में अचानक वापसी से व्यवस्था चरमरा जाएगी। कई शिक्षक वर्तमान में BLO (Booth Level Officer) के रूप में निर्वाचन कार्यों में भी तैनात हैं, जिससे प्रशासनिक कामकाज पर असर पड़ सकता है।
शिक्षक संगठनों ने महानिदेशक, स्कूल शिक्षा को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि जब तक यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, तब तक वापसी आदेशों पर रोक लगाई जाए। संगठनों ने यह भी सुझाव दिया है कि यदि जरूरत हो तो *“समायोजन थर्ड प्रक्रिया”* शुरू कर खाली पदों पर शिक्षकों को समायोजित किया जाए, ताकि शिक्षण कार्य बाधित न हो।