योगी कैबिनेट में 23 प्रस्तावों पर मुहर, देखें

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार शाम कैबिनेट बैठक में 23 प्रस्तावों की मुहर लगी। वहीं, एमपी/एमएलए कोर्ट में मंगलवार को मुख्तार अंसारी के गैंगस्टर मामले का फैसला टल गया है। 

➡️यूपी कैबिनेट की बैठक के बाद ब्रीफिंग


➡️25 प्रस्ताव पर चर्चा के बाद 23 प्रस्ताव हुए पास


➡️जल निगम में रिक्त पदों पर भर्तियां होंगी-खन्ना


➡️यूपी चयन सेवा आयोग से पदों पर भर्तियां-खन्ना.


कोरोना काल में निराश्रित हुए बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रदेश में बनाए जा रहे 18 अटल आवासीय विद्यालय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तरह कार्य करेंगे। राज्य सरकार द्वारा इन विद्यालयों की स्थापना शिक्षा और सामाजिक न्याय के उद्देश्य से की जा रही है। इनका क्रियान्वयन एवं प्रबंधन अटल आवासीस विद्यालय समिति द्वारा किया जाएगा, जिसकी नियमावली तैयार की जा चुकी है।


यूपी कैबिनेट के बड़े फैसले: 25 लाख युवाओं को मिलेंगे स्मार्टफोन, कैबिनेट ने दी 3600 करोड़ की मंजूरी


प्रदेश सरकार युवाओं को हाइटेक बनाने के लिए 25 लाख स्मार्टफोन मुफ्त में देगी। इन स्मार्टफोन की खरीद पर 3600 करोड़ रुपये खर्च होंगें, जिसका मंत्रिमंडल ने अनुमोदन कर दिया। ये योजना पांच वर्ष के लिए लागू है।


स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत योगी सरकार युवाओं को निशुल्क स्मार्टफोन दे रही है। ये स्मार्ट फोन स्नातक, स्नाकोत्तर, डिप्लोमा, कौशल विकास के अलावा विभिन्न शिक्षण व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लाभार्थी युवाओं को दिए जाएंगे, ताकि वे अपने शैक्षिक पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें। पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद भी आगे के कैरियर में ये स्मार्टफोन मददगार साबित होंगे। इस योजना के जरिए प्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाया जाएगा।



इनकी खरीद के लिए वित्त वर्ष 23-24 में 3600 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव मंजूर हो गया। इससे केन्द्र सरकार पर कोई व्यय भार नहीं पड़ेगा। इस संबंध में आईटी कंपनी इन्फोसिस प्रदेश के युवाओं को डिजिटल सशक्तिकरण व स्किल डेवलपमेंट के उद्देश्य से कारपोरेट सोशल एक्टिविटी के अंतर्गत स्प्रिंगबोर्ड प्लेटफार्म प्रदेश सरकार को निशुल्क दे रही है। इसमें छात्र छात्राओं के भविष्य को सुधारने वाले 3900 कोर्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं।


निजी क्षेत्र के संस्थानों को प्रतिमाह 1000 रुपये प्रतिपूर्ति करेगी सरकार

 प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी युवाओं के कौशल विकास करने व उनको प्रशिक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (उच्च शिक्षा) को मंजूरी दे दी गई है। कैबिनेट ने योजना के तहत प्रशिक्षुओं को निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों की ओर से दिए जाने वाले स्टाइपेंड में 1000 रुपये की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार की ओर से किए जाने पर सहमति दी है। उच्च शिक्षा विभाग को इसके लिए नोडल विभाग बनाया गया है।


योजना के तहत उच्च शिक्षा में इंजीनियरिंग/तकनीकी के क्षेत्र में डिप्लोमा व सभी विधाओं में स्नातक विद्यार्थियों को केंद्र की नैट्स योजना के तहत निजी संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। निजी क्षेत्र के संस्थान ज्यादा से ज्यादा डिग्री व डिप्लोमा धारी युवाओं को प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण दें, इसके लिए सरकार 1000 रुपये प्रति माह प्रतिपूर्ति राशि देगी। शासन ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान कर रखा है।


योजना के तहत प्रदेश के गैर तकनीकी डिप्लोमा व डिग्रीधारी युवाओं को एक साल का रोजगार दिया जाएगा। बता दें कि योजना के तहत निजी व सरकारी संस्थान में युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए युवाओं को रखना है और डिप्लोमा धारकों को 8000 और डिग्री धारकों को 9000 रुपये महीने प्रोत्साहन राशि भी दिए जाने का प्रावधान है। इस योजना के प्रभावी होने से प्रदेश के अप्रशिक्षित युवाओं का कौशल विकास किया जा सकेगा।


अब किंग, क्वीन और क्राउन का धड़ल्ले से कीजिए उपयोग


 गुलामी की कड़वी यादें ताजा करने वाले अंग्रेजों के जमाने के नियम कानून अब नहीं चलेंगे। ब्रिटिश काल में क्राउन, किंग, क्वीन, एम्परर, एम्प्रेस, एम्पायर, इम्पीरियल और रायल जैसे शब्दों का इस्तेमाल भारतीयों के लिए प्रतिबंधित था। यहां तक कि इन शब्दों की शान में जरा सी गुस्ताखी पर सख्त सजा दी जाती थी। प्रदेश सरकार ने भागीदारी नियमावली 1933 में संशोधन कर दिया है। अब कोई भी व्यक्ति इन शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है।


कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश भागीदारी अधिनियम नियमावली 1933 में पांचवे संशोधन को मंजूरी दे दी। अभी तक इस नियमावली की वजह से आजादी के 75 साल बाद भी किंग, क्वीन सहित ब्रिटिश राजसत्ता से जुड़े तमाम शब्दों को इस्तेमाल करना भारतीयों के लिए गैर कानूनी था। इन शब्दों का प्रयोग फर्म, संस्था द्वारा करना निषिद्ध था। प्रस्ताव में कहा गया कि वर्तमान भारतीय गणतंत्र में ब्रिटिश राजशाही और सरकार विलुप्त हो गई हैं। इसलिए इस नियमावली में इन शब्दों पर रोक अनावश्यक हो गई है। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश भारतीय भागीदारी नियमावली 1933 के नियम 16 के स्तम्भ-2 में दर्ज इन शब्दों को हटा दिया गया है। यानी अब कोई भी इन शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है।


2 करोड़ झंडों का पैसा पंचायतीराज और नगर विकास विभाग वहन करेंगे


 आजादी का अमृत महोत्सव के तहत घर-घर तिरंगा कार्यक्रम में वितरित किए गए झंडों का खर्च पंचायतीराज और नगर विकास विभाग वहन करेंगे। कैबिनेट ने पंचायतीराज विभाग के बजट से डेढ़ करोड़ झंडों के लिए 30 करोड़ रुपये राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन को देने और नगर विकास विभाग के बजट से 50 लाख झंडों के लिए 10 करोड़ रुपये शहरी आजीविका मिशन को देने की मंजूरी दी है। दोनों विभाग यह राशि राज्य वित्त आयोग के मद से देंगे।

सरकार ने अपनी संस्था पीसीडीएफ के छह डेयरी प्लांट निजी कंपनियों को दस साल के लिए लीज पर देने का निर्णय लिया है। यह प्लांट वर्तमान में ठप हैं या घाटे में चल रहे हैं। इससे पशुपालकों को दूध का उचित मूल्य मिलेगा। यह डेयरी प्लांट गोरखपुर, कानपुर, नोएडा, प्रयागराज, आजमगढ़ और मुरादाबाद में हैं। पीसीडीएफ पराग ब्रांड से खुद डेयरी चलाता है।