बीएड डिग्रीधारकों की परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने की आस को झटका

 

बड़ौत। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीएडधारकों को परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अपात्र घोषित करने से बीएड डिग्री धारकों में मायूसी है। इससे 30 अगस्त को होने वाली सीटेट परीक्षा पर भी संकट गहराने लगा है। इस फैसले से परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने की आस संजोए बीएड डिग्री धारकों को भी झटका लगा है।


जनपद में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध 22 कॉलेजों में बीएड व एमएड की कक्षाएं संचालित होती हैं। बीते दिनों संपन्न बीएड, एमएड की परीक्षा में करीब तीन हजार परीक्षार्थियों ने प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा दी है। दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज के बीएड विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा महेश कुमार मुछाल के अनुसार हर साल करीब पांच हजार से अधिक छात्र डिग्री हासिल करते हैं। कई वर्षो से भर्ती न होने से जिले के करीब डेढ़ से दो लाख बीएड डिग्री धारक शिक्षक परिषदीय स्कूलों में सरकारी शिक्षक की नौकरी पाने की आस में हैं। जिले के लाखों अभ्यर्थियों ने सीटेट परीक्षा व बिहार में होने वाली परीक्षा के लिए आवेदन भी किया है। ऐसे में अब यह परीक्षा होगी कि नहीं, इस पर भी असमंजस कायम है।




ये बोली छात्राएं--


सीटेट के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी, लेकिन अब सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीएड डिग्रीधारकों और बीएड की पढ़ाई कर रहे छात्रों मेें मायूसी है, लाखों छात्रों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे। ज्योति


कड़ी मेहनत के साथ बीएड में दाखिला लिया था और कड़ी मेहनत कर बीएड की डिग्री हासिल की थी, लेकिन इस फैसले से मन दुखी है। सुप्रीम कोर्ट को ऐसे छात्रों के भविष्य के बारे में भी चिंतन करना चाहिए- दिव्या।