✍️ बीएड-BTC आर्डर विश्लेषण विशेष, क्या 69000 भर्ती वालों को जाना होगा कोर्ट या नहीं? जानिए


विश्लेषण विशेष

26 सितंबर को REET का आयोजन हुआ। इसमें लेवल-1 में लगभग 9 लाख B.Ed. योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी भी शामिल हुए। इसको लेकर BSTC अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई की गई। हाईकोर्ट के जज अकील कुरैशी और सुदेश बंसल की खंडपीठ ने NCTE के नोटिफिकेशन को अव्यवहारिक बताते हुए BTC अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया। हाईकोर्ट के फैसले के बाद दोनों परीक्षा देने वाले करीब 9 लाख अभ्यर्थी लेवल-1 के लिए अयोग्य ठहरा दिए गए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले से ना केवल राजस्थान बल्कि देशभर के बीएसटीसी अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली। वहीं B.Ed. अभ्यर्थियों को झटका लगा था।

बीटीसी बनाम बी एड मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश निम्न है

The civil appeals are dismissed and the Writ Petitions are disposed of in terms of the signed reportable judgment.

अर्थात राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध दायर सभी सिविल अपील खारिज की जाती हैं।यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के रिपोॅटेड जजमेंट में शामिल किया जाएगा।

मुख्य अंश

_37. Consequently, the Appeals are dismissed and the judgement dated 25.11.2021 of the Rajasthan High Court is upheld. The notification dated 28.06.2018 is hereby quashed and set aside. The Writ Petitions and all pending applications stand disposed of in light of the above order.

एनसीटीई का 28/06/2018 का अवैध नोटिफिकेशन रद्द। एनसीटीई ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए आरटीई एक्ट 2009 को दरकिनार किया तथा अवैध रूप से बी एड की एंट्री प्राइमरी में की।

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई द्वारा बीएड को प्राइमरी शिक्षण हेतु न्यूनतम अर्हता में शामिल करने हेतु दिनांक 28/06/2018 को जारी की गई अधिसूचना को कोर्ट ने असंवैधानिक, आरटीई की मूल भावना के खिलाफ व गैरकानूनी मानते हुए रदद् किया।

अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न क्या पूर्व में हुई नियुक्ति के संदर्भ में भी कुछ स्पष्ट किया है कि (जैसे उत्तरप्रदेश की 69 हजार भर्ती) तो आदेश में ऐसा स्पष्ट मेंशन नही है कि इनको नही छेड़ा जाए!


लेकिन आदेश में ऐसे लोगो के लिये राहत भरी बात ये है NCTE नोटिफिकेशन 28/06/2018 को गलत बताने वाली एव तीन याचिका जिसमे एक उत्तरप्रदेश से भी है (69भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने के परिपेक्ष्य में) उसमे कोर्ट ने कोई राहत देने से इनकार कर दिया है!
एक तरफ पूरे नोटिफिकेशनको खुद ही रद्द कर रहे हैं और दूसरी तरफ जो कह रहा है कि ये नोटिफिकेशन गलत है हमको राहत दो, तो उनको मिल नही रही!!
मेरे विचार से 69हजार बीएड वालो के सामने उनसे सम्बंधित ये विवाद न्यायालय की चौखट पर आएगा!!

आप मजबूत पैरवी करे!
मेरे अनु सार आप बाहर है