कार्य के एवज में मिले वेतन की रिकवरी पर रोक, डीआईओएस से जवाब तलब


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रवक्ता के खाली पड़े पद पर वर्ष 2010 से भौतिक विज्ञान पढ़ा रहे सहायक अध्यापक से 2015 तक मिले वेतन की वसूली के आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षक चित्रकूट से तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने फूलचंद्र चंद्रवंशी की याचिका पर दिया।


मामला चित्रकूट जिले के कर्वी इंटर कॉलेज का है। याची की नियुक्ति वर्ष 1989 में सहायक अध्यापक के पद पर हुई थी। वर्ष




2010 में उनकी पदोन्नति प्रस्तावित थी। सेवा संबंधी मुकदमा विचाराधीन होने के कारण प्रबंध समिति ने वर्ष 2013 तक उनकी पदोन्नति का प्रस्ताव पारित नहीं किया। प्रबंधन ने प्रवक्ता का पद खाली होने के कारण उन्हें बतौर प्रवक्ता पढ़ाने की इजाजत दी थी। इस के बाद वह लगातार अध्यापन

कर रहे थे।

वर्ष 2015 में प्रबंध समिति के प्रस्ताव पर याची के प्रवक्ता पद पर पदोन्नति के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गया। वर्ष 2022 में याची को सेलेक्शन ग्रेड की प्रोन्नति के प्रस्ताव पर जिला विद्यालय निरीक्षक

ने आपत्ति की। साथ ही याची की प्रवक्ता पद पर पदोन्नति वर्ष 2015 को ही माना। 2010 से 2015 तक प्रवक्ता के वेतनमान में भुगतान हुए वेतन की वसूली का आदेश भी पारित कर दिया।

इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनके अधिवक्ता शैलेंद्र श्रीवास्तव का कहना था कि याची प्रबंधन की इजाजत से ही वर्ष 2010 से अनवरत बतौर प्रवक्ता कार्य कर रहा है।

ऐसे में लिए गए कार्य के एवज में अदा किए गए वेतन की वसूली अवैधानिक है। कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक के वेतन वसूली के आदेश पर रोक लगाते हुए डीआईओएस से तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है।