शिक्षकों को ग्रांट की पाई-पाई का का देना होगा पूरा ब्यौरा, बीएसए ने कहा खर्च की गयी कंपोजिट ग्रांट की होगी जांच

 बदायूं, । परिषदीय स्कूलों को कंपोजिट ग्रांट ट्रांसफर की ला चुकी है और ग्रांट खर्च कर काम कराना भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन कंपोजिट ग्रांट का कहीं दुरुपयोग हुआ तो सीधे प्रधानाध्यापक जिम्मेदार होंगे, ऐसे में प्रधानाध्यापकों को कंपोजिट ग्रांट सोच समझकर सही से खर्च करनी है।



शासन की ओर से हर परिषदीय विद्यालय के लिए रंगाई, पुताई, फर्नीचर एवं स्कूल के छोटे-छोटे अन्य कार्यों के लिए हर वर्ष कंपोजिट ग्रांट दी जाती है। इस बार भी जिले के 2155 विद्यालयों के लिए छात्र अनुपात के अनुसार कंपोजिट ग्रांट भेजी गयी है। प्रधानाध्यपकों ने कंपोजिट ग्रांट मिलने के बाद स्कूलों में काम शुरू करा दिया है। इसी बीच बीएसए ने फरमान जारी किया है कि प्रधानाध्यापक कंपोजिट ग्रांट का सही से प्रयोग करें, अगर कहीं पर कंपोजिट ग्रांट का दुरुपयोग किया गया तो सीधे-सीधे वही जिम्मेदार होंगे। कंपोजिट ग्रांट खर्च करने का प्रधानाध्यापकों को पूरा ब्यौरा देना होगा। बीएसए स्वाती भारती ने बताया कि प्रधानाध्यापक कंपोजिट ग्रांट का सदुपयोग करते हुए जरूरी कार्य कराएं। कंपोजिट ग्रांट का दुरुपयोग हुआ तो वह जिम्मेदार होंगे।



ग्रांट में 25 से 75 हजार तक मिले


कंपोजिट ग्रांट बच्चों की संख्या के हिसाब से आती है। अगर किसी विद्यालय में 100 बच्चे नामांकित हैं तो 50 हजार की कंपोजिट ग्रांट जारी होती है। 100 से कम बच्चों पर 25 हजार की ग्रांट दी जाती है। 200 से ऊपर बच्चे होने पर 75 हजार की ग्रांट एसएमसी के खाते में ट्रांसफर होती है।


मेंटीनेंस पर भी ग्रांट खर्च


कंपोजिट ग्रांट मिलने के बाद प्रधानाध्यापक अपने स्कूलों में काम कराने में जुटे हुए हैं, कोई रंगाई पुताई करा रहा है तो कोई फर्नीचर की व्यवस्था में लगा है। इसके साथ ही कुछ स्कूलों में मेंटीनेंस का कार्य भी कंपोजिट ग्रांट खर्च कर कराया जा रहा है।