28 July 2025

सोशल मीडिया मंच के जरिए हुई कमाई का पूरा ब्योरा देना होगा

 

आयकर विभाग ने आईटीआर-3 और 4 फॉर्म में बड़ा बदलाव करते हुए इसमें पांच नई पेशेवर श्रेणियों (कोड) को जोड़ा है। इसके तहत इनमें सोशल मीडिया मंच और यूट्यूब से कमाई करने वालों (कंटेंट क्रिएटर, इन्फ्लुएंसर, यूट्यूबर), वायदा एवं विकल्प ट्रेडर, कमीशन एजेंट, सट्टा कारोबार से जुड़े लोगों समेत अन्य पेशेवरों को शामिल किया गया है। इन पेशवरों को अब अपनी आय का विस्तृत ब्योरा देना होगा और निर्धारित फॉर्म भरना होगा।

आय के अनुसार फॉर्म चुनना होगा

इन श्रेणियों को इन फॉर्म की ऑफलाइन और ऑनलाइन यूटिलिटी टूल में जारी कर दिया गया है। अब तक कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर या शेयर बाजार के ट्रेडर ‘अन्य’ श्रेणी का इस्तेमाल करते हुए आयकर रिटर्न दाखिल करते थे। इससे विभाग के लिए यह पहचानना मुश्किल होता था कि वह व्यक्ति किस पेशे से है। लेकिन अब कोड स्पष्ट होने से यह समस्या खत्म हो जाएगी। इस कदम से विभाग के लिए ऐसे करदाताओं की निगरानी करना आसान हो जाएगा।

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कई मामलों में देखा गया है कि इनफ्लुएंसर या ट्रेडर गलत जानकारी देकर आयकर रिटर्न नहीं भरते थे या फिर गलत श्रेणी चुनकर आमदनी छिपाने की कोशिश करते थे। इससे आयक विभाग को रियल टाइम ट्रैकिंग में दिक्कत होती थी। लेकिन अब हर व्यवसाय के लिए कोड तय होने से यह तय हो जाएगा कि किसकी आमदनी किस श्रेणी में आती है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि कर चोरी पर भी लगाम लगेगी।


कमाई का ब्योरा न देने वालों पर शिकंजा: आयकर विभाग के अनुसार, पिछले दो वर्षों में ₹20 लाख से अधिक की वार्षिक कमाई करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की संख्या में तेजी आई है।


सोशल मीडिया से कमाई करने वालों के लिए विभाग ने 16021 नाम से नया पे्शेवर कोड पेश किया है। यह खास तौर पर उनके लिए है, जो प्रमोशन, उत्पाद विज्ञापन या डिजिटल कंटेंट के जरिए कमाई करते हैं। यह कोड आईटीआर-3 और आईटीआर-4 दोनों फॉर्म में शामिल किया गया है। अब इन्फ्लुएंसर को अपनी आय के स्तर और अनुमानित कराधान के विकल्प के आधार पर आईटीआर-3 या आईटीआर-4 (सुगम) में से किसी एक को चुनना होगा। इससे ऑनलाइन कोच, ब्लॉगर्स और अन्य डिजिटल कमाने वाले पेशेवरों का टैक्स अनुपालन और पारदर्शिता बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई इन्फ्लुएंसर अनुमानित कराधान के तहत सेक्शन 44एडीए का विकल्प चुनता है, तो उसे आईटीआर-4 का उपयोग करना होगा।


वहीं, कमोडिटी और शेयर बाजार में सक्रिय वायदा विकल्प (एफएंडओ) खंड के ट्रेडर के लिए भी नया कोड 21010 जोड़ा गया है। यह कोड उनके ट्रेडिंग से होने वाली आय की सही जानकारी सुनिश्चित करने में मदद करेंगे। इसके तहत ट्रेडर्स को आईटीआर-3 में अपनी आय, लाभ-हानि की पूरी जानकारी देनी होगी। इससे आयकर विभाग को उनकी वास्तविक कमाई का पता चलेगा और टैक्स वसूली प्रक्रिया प्रभावी होगी।


अधिक लोग कर के दायरे में आएंगे


विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल दौर में करियर के विकल्प तेजी से बदल रहे हैं। अब लोग पारंपरिक नौकरियों से हटकर सोशल मीडिया, ट्रेडिंग और कमीशन आधारित कामों को भी अपनाने लगे हैं। आयकर विभाग ने इसे समय की मांग माना है और इसी सोच के साथ नए कोड शामिल किए हैं। ऐसे लोगों को कर के दायरे में लाने के लिए विभाग ने उन्हें आधिकारिक पहचान देने का फैसला लिया है।