28 July 2025

‘नोटिस दिए बगैर मतदाताओं के नाम नहीं कटेंगे’

 

चुनाव आयोग ने रविवार को कहा है कि नोटिस दिए बगैर सूची से मतदाताओं के नाम नहीं कटेंगे। प्रारूप मतदाता सूची से वोटर का नाम हटाने के पहले निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ईआरओ) या सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (एईआरओ) को नोटिस और सूचना देनी होगी।


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मतदाता ईआरओ के किसी भी निर्णय के असहमत होने पर जिला मजिस्ट्रेट और उसके बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपील कर सकते हैं। ईआरओ के किसी भी फैसले के विरुद्ध अपील दायर करने में लोगो की सहायता के लिए स्वयंसेवक प्रशिक्षित किए जा रहे हैं। अपील दायर करने के लिए मानक प्रारूप बन रहा है।रविवार को चुनाव आयोग के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने इसकी जानकारी दी। आयोग के अनुसार लोगों को आसानी से अपील दायर करने की सुविधा देने के लिए इसे व्यापक रूप से प्रसारित भी किया जाएगा। आयोग ने एसआईआर से संबंधित 10 प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट किया। इसमें बताया गया कि 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से भी अधिक मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा करा दिए हैं। इसे आयोग ने मतदाताओं की जबरदस्त भागीदारी का संकेत बताया है।


हरेक बूथ की प्रारूप मतदाता सूची 12 दलों को उपलब्ध होगा : एक अगस्त को प्रकाशित होने वाली प्रारुप मतदाता सूची में हरेक बूथ की छपी हुई और डिजिटल प्रतियां सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी। आयोग ने मतदाताओं या राजनीतिक दलों से अपेक्षा जताई है कि वे 1 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक किसी भी पात्र मतदाता जो शामिल होने से रह गया हो या वैसे अपात्र मतदाता जिनका नाम प्रारुप मतदाता सूची में रह गया हो, उन्हें हटाने के इस संबंध में दावा एवं आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। आयोग ने बताया कि किसी भी दावे ओर आपत्तियों की जांच और निर्णय लेने के लिए 243 ईआरओ एवं 2976 एईआरओ तैनात हैं। इन 2976 में से 1470 एईआरओ को 8 जुलाई 2025 को सहायता के लिए अधिसूचित किया गया है।


नई दिल्ली, एजेंसी। बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के एक महीने तक चले पहले चरण के समापन के बाद 7.24 करोड़ यानी 91.69% मतदाताओं से गणना फार्म प्राप्त हो गए हैं। निर्वाचन आयोग ने रविवार को यह जानकारी दी।


आयोग ने बताया कि 36 लाख लोग या तो अपने पिछले पते से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या फिर उनका कोई पता ही नहीं है। आयोग ने कहा कि बिहार के सात लाख मतदाताओं के कई जगहों पर नाम दर्ज है। गणना प्रपत्र वितरित करने और वापस प्राप्त करने से संबंधित एसआईआर का पहला चरण शुक्रवार को समाप्त हो गया। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि कई लोग किसी न किसी कारण से स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के इच्छुक नहीं थे।


चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के हंगामे पर कहा कि आयोग यह नहीं समझ पा रहा है कि जब किसी भी नाम को गलत तरीके से शामिल या गलत तरीके से बाहर करने के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर तक का पूरा एक महीना उपलब्ध है, तो वे इतना हंगामा क्यों मचा रहे हैं। अपने 1.6 लाख बीएलए को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करने के लिए क्यों नहीं कहा। आयोग ने कहा कि एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि के दौरान मतदाता सूची में वापस जोड़ा जा सकता है।