इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी आदेश के खिलाफ अपील होगी या प्रत्यावेदन यह दंड की प्रकृति के आधार पर तय किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा कर्मचारी नियमावली में अधिरोपित दंड की प्रकृति के अनुसार अपील या शिकायत किस प्राधिकारी को संबोधित की जाए, स्पष्ट है। न्यायमूर्ति डॉ योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने भदोही की शिक्षिका अर्चना साहू की याचिका की सुनवाई करते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही निर्देश दिया कि याची के अभ्यावेदन पर एक माह में नए सिरे से निर्णय लिया जाए।
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याचिका के अनुसार बीएसए भदोही ने गत नौ अप्रैल के आदेश से याची की एक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोक दी। साथ ही प्राथमिक विद्यालय, भावपुर ब्लॉक डीघ से स्थानांतरित कर दिया है, जहां उसकी नियुक्ति हुई थी। याची ने उक्त आदेश के विरुद्ध अभ्यावेदन दिया था लेकिन कोई सकारात्मक निर्णय नहीं होने की दशा में यह याचिका की। याचिका में बीएसए को उसके अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई। कोर्ट ने पाया कि याची की सेवाएं उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा कर्मचारी नियमावली 1973 से शासित हैं। इसमें कहा गया है कि नियुक्ति प्राधिकारी उचित और पर्याप्त कारणों से कर्मचारी की निंदा करने के साथ वेतन वृद्धि रोक सकता है। पदावनति, लापरवाही या अन्य आदेशों के उल्लंघन के कारण बोर्ड को हुई किसी भी आर्थिक हानि की पूरी या आंशिक राशि वेतन से वसूल करना, सेवा से हटाना जो उसे भविष्य में रोजगार के लिए अयोग्य नहीं ठहराता या सेवा से बर्खास्तगी जो उसे सामान्यतः भविष्य में रोजगार के लिए अयोग्य ठहराती है। कोर्ट ने नियमों से संलग्न अनुसूची के स्तंभ एक में उल्लिखित पदों के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी के आदेश के विरुद्ध अपील के लिए तय व्यवस्था पर विचार किया। कहा कि नियम पांच के उप-नियम एक के तहत उक्त दंड के अधिरोपण के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकेगी लेकिन उप-नियम (2) के अनुसार याची को अभ्यावेदन करने का अधिकार है।