नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर दोहराया कि यदि बिहार में एसआईआर में किसी भी तरह की अनियमितता पाई जाती है तो पूरी प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा कि आप तथ्यों और आंकड़ों के साथ तैयार रहें। कई सवाल उठेंगे और हम पूछेंगे।
काफी हद तक विश्वास की कमी का मामला : बिहार में एसआईआर को लेकर जो विवाद है वह काफी हद तक विश्वास की कमी का मामला है, और कुछ नहीं। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी भी की।
आयोग के अधिकार क्षेत्र में नाम हटाना : शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘नागरिकता देने या छीनने का कानून संसद द्वारा पारित किया जाना है, लेकिन मतदाता सूची में नागरिकों और गैर-नागरिकों को शामिल करना या बाहर करना निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में है।
निर्वाचन आयोग द्वारा 24 जून को एसआईआर कराने के लिए जारी आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि इससे एक करोड़ मतदाताओं के नाम कट जाएंगे और वे मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।
ये भी पढ़ें - प्रभारी प्रधानाध्यापक के विरुद्ध मामला कल जस्टिस संजय कुमार जी के यहां 21 नंबर पर लग गया है । अविचल
ये भी पढ़ें - सामूहिक बीमा के अन्तर्गत हुई ₹ 87 की कटौती की वापसी के संबंध में
आधार नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं
शीर्ष अदालत ने आयोग के उस फैसले से भी सहमति जताई जिसमें मौजूदा प्रक्रिया में आधार और वोटर कार्ड को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार न करने का फैसला किया गया था। कहा, इसके साथ अन्य दस्तावेज भी होने चाहिए।