उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसा शिक्षक के रूप में दर्ज मौलाना शमशुल हुदा खान की असलियत सामने आने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. कागज़ों पर वह प्रदेश सरकार से वेतन पाने वाले शिक्षक थे, लेकिन वास्तविकता में वह दस वर्षों तक ब्रिटेन में रहकर धार्मिक गतिविधियाँ चलाते रहे, ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली और कथित तौर पर पाकिस्तान आधारित धार्मिक नेटवर्क से भी जुड़े रहे. कागज़ों पर मौलाना शमशुल हुदा खान उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसा शिक्षक थे. 2007 से 2017 के बीच उन्होंने 16 लाख रुपये वेतन लिया, मेडिकल लीव का लाभ उठाया और अंत में सभी सुविधाओं के साथ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति भी प्राप्त कर ली. लेकिन हकीकत बिल्कुल अलग थी. इन दस वर्षों के दौरान शमशुल हुदा खान भारत में नहीं, बल्कि हजारों मील दूर ब्रिटेन में रह रहे थे, जहाँ उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली थी, धार्मिक भाषण देते थे और कथित तौर पर पाकिस्तान आधारित धार्मिक नेटवर्क से संपर्क बनाए हुए थे.
करीब एक दशक तक सिस्टम ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. अब यूपी सरकार ने कार्रवाई शुरू की. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के चार वरिष्ठ अधिकारी एस.एन. पांडेय, साहित्य निकाश सिंह, लालमन और प्रभात कुमार को मिलीभगत के आरोप में निलंबित कर दिया गया. हुडा के खिलाफ धोखाधड़ी और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) उल्लंघन के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. उनकी विदेश यात्राओं और दस्तावेजों की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है. पुलिस ने ईडी जांच की भी सिफारिश की है. इसके अलावा हुडा पर दो और एफआईआर दर्ज हैं एक आज़मगढ़ में (धोखाधड़ी और जालसाजी) और दूसरी संत कबीर नगर में (ब्रिटिश नागरिकता छुपाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप)
हुदा को 1984 में आज़मगढ़ के एक मदरसे में सहायक शिक्षक नियुक्त किया गया था. 2007 तक वे पढ़ाते रहे, उसी वर्ष वे चुपचाप ब्रिटेन चले गए. वर्ष 2013 में उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त कर ली. 25 मार्च 2025 की एटीएस रिपोर्ट के अनुसार, हुडा अक्सर पाकिस्तानी शहरों में यात्रा करते थे और लाहौर, कराची और रावलपिंडी के कई मौलवियों और संगठनों से संपर्क बनाए रखते थे. वह जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी झुकाव वाले व्यक्तियों से भी जुड़े रहते थे. जांचकर्ताओं का कहना है कि 2017 में यूपी यात्रा के बाद हुडा ने पूर्वी यूपी के कुछ हिस्सों में वैचारिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की. उन्होंने धार्मिक संस्थानों को फंडिंग एवं प्रबंधन के माध्यम से नियंत्रित करने का प्रयास किया.
