फिर पर्चा लीक:- यूपीटीईटी की शुचिता को छिन्न-भिन्न करने वालों के विरुद्ध सरकार को इतनी कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए कि भविष्य में कोई इसकी हिमाकत न कर सके

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2021 का प्रश्नपत्र लीक होना जितना सनसनीखेज है, उतना ही दुर्भाग्यपूर्ण भी। 21 लाख से अधिक परीक्षार्थियों के भविष्य से जुड़ी इस परीक्षा के रद होने से उनके स्वजन समेत करीब एक करोड़ लोगों को तगड़ा झटका लगा है। इसे भांपते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महीने के अंदर दोबारा परीक्षा कराने का एलान करके परीक्षार्थियों के साथ खड़े होने का भरोसा दिया है। परीक्षा केंद्रों तक आने-जाने के लिए अभ्यर्थियों को मुफ्त बस यात्र की सुविधा भी दी जाएगी। पर्चा लीक करने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराने और उनकी संपत्तियां जब्त करने का आश्वासन भी दिया गया है। यह आश्वस्ति अपनी जगह है लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि कोई साल्वर गैंग इतनी बड़ी परीक्षा की शुचिता भंग करने में सफल कैसे हो गया। उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की परीक्षाओं पर पूर्व में दाग लगे होने के बावजूद इसी एजेंसी को यूपीटीईटी का जिम्मा क्यों दिया गया, इसका भी जवाब खोजना ही पड़ेगा।


यूपी-बिहार समेत कई राज्यों के साल्वर और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी बताती है कि पर्चा लीक करने वालों का गैंग कितना बड़ा है और उसका दायरा कितना विस्तृत। यह परीक्षा एजेंसी के साथ-साथ संगठित अपराध पर नजर रखने वाली एजेसियों की भी बड़ी विफलता है। स्पेशल टास्क फोर्स साल्वर गैंग और उनके नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश करेगी ही लेकिन, इससे इतना स्पष्ट है कि पूर्व की घटनाओं से अभी कोई सबक नहीं लिया गया है। डीएलएड परीक्षा भी पर्चा आउट होने के कारण रद करनी पड़ी थी। पीएनपी की ही देखरेख में हुई 68,500 शिक्षक भर्ती परीक्षा का प्रकरण हाई कोर्ट पहुंचने पर पता लगा कि कई अभ्यर्थियों की कापी के अंक दूसरों को चढ़ा दिए गए थे। अदालती आदेश पर हुए पुनमरूल्यांकन में करीब साढ़े चार हजार अभ्यर्थी सफल हुए थे। हालांकि, यह भर्ती अभी तक अटकी ही है। बहरहाल, यूपीटीईटी की शुचिता को छिन्न-भिन्न करने वालों के विरुद्ध सरकार को इतनी कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए कि भविष्य में कोई इसकी हिमाकत न कर सके।