निजी विद्यालयों को मात दे रहे यह दो सरकारी स्कूल

गोरखपुर। जिले में कुछ ऐसे भी परिषदीय विद्यालय हैं, जो प्राइवेट विद्यालयों को मात देने लगे हैं। उनकी व्यवस्था बेहतर होने के चलते अभिभावक निजी विद्यालयों से नाम कटवा कर उन्हें सरकारी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कराने के लिए भेज रहे हैं।ऐसे में शिक्षकों की बदौलत बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिले के दो विद्यालयों का मेरा विद्यालय मेरी पहचान के तहत चयन किया गया है। इन विद्यालयों को पुरस्कृत करने के लिए शासन को पत्रावली भेज दी गई है।


देवरिया में हैं 2122 परिषदीय विद्यालय

जिले में 2122 परिषदीय विद्यालय हैं, सरकार की मंशा है कि निजी विद्यालयों की तरह परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई हो और छात्रों की उपस्थिति भी हो। सरकार की इस मंशा के क्रम में कुछ विद्यालय बेहतर प्रदर्शन कर भी रहे हैं। निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निर्देश पर जिले के एक प्राथमिक विद्यालय व एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय का चयन करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जिसमें लार विकास खंड के बलुआ गौरी के राजस्व गांव सियरही एकसरहा व देसही विकास खंड के सहवा पूर्व माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। इसमें विद्यालयोें की छात्र संख्या, छात्रों की औसत उपस्थिति, अध्ययनरत कक्षा के बच्चों की भाषण, खेलकूद एवं पाठ्य सामग्री, समुदाय का सहयोग, स्मार्ट क्लास रूम, विद्यालय में साफ-सफाई, पर्यावरण संरक्षण, शौचालय की व्यवस्था पर ध्यान दिया गया है।




इन विद्यालयों के बारे में जाने

राजस्व गांव सियरही एकसरहा में 2011 में परिषदीय विद्यालय का निर्माण किया गया, उस समय छात्रों की संख्या बहुत कम थी। 2013 में पड़री गजराज के रहने वाले प्रधानाध्यापक संदीप सिंह की तैनाती हुई और अब विद्यालय की रूपरेखा ही बदल गई है। अक्टूबर 2015 में उनके प्रयास से प्रोजेक्टर लगाया गया और शिक्षकों व अन्य लोगों के सहयोग फर्नीचर की व्यवस्था की गई है। यहां 170 छात्रों का नामांकन है और एक 170 छात्र दिन हर दिन पढ़ाई करने के लिए आते हैं। यहां मात्र दो कक्षा है, बावजूद इसके पढ़ाई इनकी प्रभावित नहीं होती। जबकि पूर्व माध्यमिक विद्यालय सहवा को तो और हाईटेक कर दिया गया है। यहां माडल का प्रोजेक्ट वर्क, सुपर क्लास 30 का संचालन, स्मार्ट क्लास का संचालन किया जाता है। इस विद्यालय में 2018 में 197, 2019 में 297, 2020 में 485, 2021 में 511 छात्रों का नामांकन रहा है। यहां कई गांवों के छात्र पढ़ाई करने के लिए आते हैं।