बहराइच। दिल में जज्बा और होंठों पर मुस्कान हो, पसीना मेहनत का और कदमों में आसमान हो। ये पंक्तियां विकास खंड हुजूरपुर अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय सरवा के प्रधानाचार्य शरतचंद्र राय के ऊपर सटीक बैठती हैं। विद्यालय के मुख्य द्वार के अंदर आते ही चारों ओर भव्य हरियाली, विभिन्न प्रजातियों के पौधे, एलसीडी व कंप्यूटर युक्त रंग-बिरंगे कक्ष। यह देखते ही ऐसा प्रतीत होता है कि हम किसी भव्य कॉन्वेंट विद्यालय के अंदर हों, लेकिन नहीं यह प्राथमिक विद्यालय सरवा है जो कि कॉन्वेंट की तर्ज पर संचालित हो रहा है। इसके पीछे है यहां तैनात प्रधानाचार्य शरतचंद्र की कठिन तपस्या व संघर्ष।
वर्ष 2018 में जब शरतचंद्र की तैनाती प्राथमिक विद्यालय सरवा में प्रधानाचार्य पद पर हुई तब यहां की हालत अत्यंत दयनीय थी। विद्यालय में कुल 87 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। इनमें से अधिकांश स्कूल नहीं आते थे। क्षेत्र के अधिकांश बच्चे जुआ खेलने में ही अपना वक्त बिताते थे। शरतचंद्र ने मन में इन परिस्थितियों को बदलने का दृढ़ निश्चय किया। उन्होंने एक-एक अभिभावक से मिलकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही बच्चों को भी जुआ न खेलने के प्रति समझाया। शुरुआत में तो लोगों ने इस संबंध में दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे परिस्थितियां बदलने लगीं। वर्ष 2019 में छात्रों की संख्या बढ़कर 265 हो गई।
इसके बाद वर्ष 2020 में 286 व वर्ष 281 में छात्र संख्या बढ़कर 312 हो गई। हालात ये हो गए कि विद्यालय में छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए स्थान ही नहीं बचा। ऐसे में उन्हें विद्यालय के बाहर नो एडमीशन का बोर्ड लगाना पड़ा। शरतचंद्र की मेहनत व उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने की ललक का असर भी विद्यार्थियों पर दिखाई पड़ा। वर्ष 2020 में जिला स्तरीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्राथमिक विद्यालय सरवा की कक्षा तीन की छात्रा ज्योति गुप्ता ने गणित व अंग्रेजी में सौ प्रतिशत अंक प्राप्त कर जनपद में प्रथम स्थान प्राप्त किया। विद्यालय की दशा बदलने के लिए भी शरतचंद्र ने प्रयास किए। उन्होंने लगभग 35 हजार रुपये की लागत से विद्यालय परिसर में पौधे लगवाने के साथ ही एक लाख रुपये की लागत से एलसीडी, कंप्यूटर, प्रिंटर आदि की व्यवस्था कर स्मार्ट क्लास का भी संचालन शुरू किया।
कक्षाओं को भी आधुनिक बनाने के लिए धन खर्च किया जिससे कक्षाएं भी आकर्षक दिखाई देने लगीं। विद्यालय में एलसीडी के माध्यम से बच्चों को योग, व्यायाम व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी भी कराई जा रही है। प्रधानाचार्य शरतचंद्र ने बताया कि विद्यालय की व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए अब तक पौने दो लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। उनका सहयोग करने के लिए कई अभिभावक व शिक्षक भी आगे आए हैं। आगे भी छात्र-छात्राओं के लिए संसाधनों का इंतजाम अवश्य किया जाएगा।
प्रधानाचार्य शरतचंद्र राय का प्रयास सभी शिक्षकों के लिए मिसाल बन चुका है। अन्य शिक्षकों को भी शरतचंद्र से प्रेरणा लेकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने के दायित्व को सिर्फ एक नौकरी समझकर नहीं बल्कि अपना कर्त्तव्य समझकर निभाया है। व्यक्तिगत रूप से विद्यालय की दशा संवारने व संसाधनों का इंतजाम करनेे के लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
- अजय कुमार, बीएस, बहराइच।