घोटाले में फंसे पूर्व DIOS और BSA, मुकदमा: शिक्षक भर्ती एवं वेतन निकासी में धांधली, लेखाधिकारी, बीईओ, दो पूर्व प्रिसिंपल समेत दस नामजद

आगरा में शिक्षक भर्ती एवं वेतन निकासी में हुए घोटाले में तीन बड़े शिक्षाधिकारियों की गर्दन फंस गई है। थाना नाई की मंडी में तीनों अफसरों समेत दो पूर्व प्रिंसिपल और भर्ती हुए शिक्षकों के खिलाफ धारा 420,467,468,471,120बी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया है।


मामला कवि रत्न श्री सत्यनारायण इंटर कॉलेज, तोरा ताजगंज का है। शिक्षक भर्ती और वेतन घोटाले के आरोपियों में पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) दिनेश यादव, पूर्व जिला बेसिक शिक्षाधिकारी (बीएसए) धर्मेद्र सक्सेना तथा लेखाधिकारी बेसिक पंकज शामिल हैं। बीईओ आलोक प्रताप श्रीवास्तव, पूर्व प्रिंसिपल महेंद्र लवानिया, कार्यवाहक प्रिसिंपल रहे दिनेश लवानिया और भर्ती हुए शिक्षक रामनरेश शर्मा, हरेंद्र प्रताप सिंह, ज्ञानेंद्र शर्मा एवं कथित प्रबंधक नवीन निश्चल को नामजद कराया गया है।

काॅलेज में बनवाया फर्जी प्रबंधक

अनिल शर्मा पुत्र शम्भूनाथ शर्मा निवासी गांव तारापुर कलाल खेरिया थाना ताजगंज ने इस प्रकरण में पहले पुलिस से शिकायत की। कार्रवाई न होने पर वह कोर्ट चले गए।

उनका आरोप है कि काॅलेज में 2015 में पूर्व प्रिंसिपल महेंद्र लवानिया ने नवीन निश्छल को फर्जी प्रबंधक बनवाया। इसके लिए न तो प्रबंध सूची पंजीकृत कराई गई और न संस्था का नवीनीकरण प्रमाण लिया। पूर्व डीआईओएस दिनेश यादव और बीएसए की मिलीभगत से हस्ताक्षर प्रबंधक पद प्रमाणित करवा लिए। इससे प्रिंसिपल खुद का और अन्य कर्मचारियों का वेतन बिना विद्यालय आए-गए निकालते रहे।

कूटरचित दस्तावेजों से हुई शिक्षकों की भर्ती

शम्भूनाथ शर्मा का आरोप है कि वर्ष 2016-17 में फर्जी तरीके से शिक्षकों की भर्ती हुई। तत्कालीन बीएसए ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर जूनियर हाईस्कूल में मोटी रकम लेकर भर्ती की। तीन सहायक अध्यापकों रामनरेश शर्मा, हरेंद्र प्रताप, ज्ञानेंद्र शर्मा की भर्ती तत्कालीन बीएसए धर्मेंद्र सक्सेना व खंड शिक्षाधिकारी (बीईओ) शमसाबाद आलोक प्रताप श्रीवास्तव के साथ मिलकर की गई।

दरअसल जब विद्यालय 2001 से ही उच्चीकृत है तो ऐसी स्थिति में भर्तियां यूपी इंटरमीडिएट एक्ट 1921 के तहत वैधानिक प्रबंधक द्वारा की जानी चाहिए थी और अनुमोदन डीआईओएस आगरा के द्वारा किया जाना चाहिए था। जबकि ऐसा नहीं हुआ।

लेखाधिकारी इस तरह फंसे

शम्भूनाथ शर्मा का आरोप है कि महेंद्र लवानिया ने अपनी और भाई दिनेश की सेवानिवृत्ति फर्जी तरीके से कथित प्रबंधक नवीन के हस्ताक्षर से कराई। महेंद्र लवानिया पूर्व में स्वयं चयन समिति का सदस्य बने और भाई दिनेश को भी नियम विरुद्ध उसी स्कूल में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती कराया। कथित प्रबंधक नवीन का कार्यकाल जनवरी 2015 से जनवरी 2019 तक समाप्त हो चुका था। उसके बाद बीएसए एवं लेखाधिकारी बेसिक पंकज की मदद से वेतन और अन्य फंड निकाले जाते रहे। इस बारे में 19 फरवरी 2021 को लेखाधिकारी पंकज और बीएसए को पत्र भी दिया था।