प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, एसएसएफ एवं असम राइफल्स में कांस्टेबल (जीडी) के पद पर नियुक्ति के लिए चयनित अभ्यर्थी नवनीत सिंह की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने नवनीत सिंह की याचिका पर उसके अधिवक्ता गोपाल जी खरे को सुनकर दिया है।
कोर्ट ने अवतार सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि नियुक्ति देने का अंतिम अधिकार भले ही नियोक्ता के विवेकाधिकार में हो लेकिन वह विवेकाधिकार न्यायसंगत और परिस्थितियों के अनुसार होना चाहिए। इसी के साथ कोर्ट ने याची को तीन सप्ताह के भीतर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष पुनः अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और कहा कि संबंधित प्राधिकारी उक्त अभ्यावेदन पर दो माह के भीतर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार उचित निर्णय लें।
याची नवनीत सिंह ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, एसएसएफ एवं असम राइफल्स में कांस्टेबल (जीडी) के पद पर नियुक्ति के लिए चयनित होने के बाद दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान लंबित आपराधिक मामले की जानकारी दी थी। याची के अधिवक्ता गोपाल जी खरे ने कहा कि आवेदन फॉर्म में आपराधिक प्रकरण के संबंध में जानकारी देने का कोई कॉलम ही नहीं था इसलिए जानबूझकर जानकारी छिपाने का आरोप निराधार है। कोर्ट ने यह भी माना कि याची के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामला केवल ग्रामीण रंजिश और आपसी वैमनस्य का परिणाम है, जिसमें अब तक आरोप-पत्र दाखिल नहीं हुआ है, न ही आरोप तय किए गए हैं। इसलिए याची को संभावित अपराधी मानकर नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।