12 August 2025

राहत : देर से रिटर्न भरने पर भी रिफंड जारी होगा, आयकर विधेयक-2025 का नया संशोधित संस्करण में हुए यह बदलाव ,जानें विधेयक से जुड़े जरूरी सवाल-जवाब

नई दिल्ली,  आयकर विधेयक-2025 का नया संशोधित संस्करण सोमवार को लोकसभा में पास हो गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने (संख्यांक 2) विधेयक- 2025 पेश किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इनमें वेतनभोगी करदाताओं को काफी राहत दी गई है। इसमें कुछ पुराने प्रावधानों को फिर से जोड़ा गया है, जिसमें आयकर रिफंड से जुड़ा प्रावधान भी शामिल है।

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भाजपा नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली लोकसभा की प्रवर समिति ने पुराने मसौदे में कई विसगंतियां पकड़ी थीं व 285 संशोधन सुझाए थे। सरकार ने सभी संशोधनों को स्वीकार करते हुए विधेयक के नए संस्करण को लोकसभा में दोबारा पेश किया, जिसे मंजूरी दे दी गई है। विधेयक में टीडीएस रिफंड दावों का पुराना प्रावधान लागू किया गया है। करदाताओं को अंतिम तारीख के बाद आईटीआर दाखिल करने के बाद भी रिफंड मिल सकेगा। अब आयकर रिटर्न भरते समय आकलन वर्ष की जगह ‘कर वर्ष’ की व्यवस्था लागू होगी। बिल में सीबीडीटी को अधिक अधिकार दिए हैं, जो पहले सीमित थे।



संपत्ति बिकने के लिए बनी हो और किराये पर न हो तो?

अगर संपत्ति स्टॉक-इन-ट्रेड (यानि बिक्री के लिए बनी) है और वित्तीय वर्ष में कभी भी किराये पर नहीं दी गई है, तो निर्माण पूरा होने का प्रमाण पत्र मिलने वाले साल के अंत से अगले दो साल तक उसका वार्षिक मूल्य शून्य माना जाएगा।


● नए बिल का क्या असर होगा?


इस विधेयक से अभी लागू किसी भी आयकर नियम में बदलाव नहीं होगा। जो नियम वित्त अधिनियम-2025 तक बदले गए हैं, वे वैसे ही रहेंगे। यानी मौजूदा कर स्लैब या आयकर नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।


नए बिल इसका मकसद 1961 के आयकर कानून को हटाकर एक आसान और समझने योग्य कानून लाना है, ताकि लोग आसानी से टैक्स नियमों का पालन कर सकें।


● कर वर्ष का क्या मतलब है?


अब सिर्फ ‘कर वर्ष’ लागू रहेगा, जिससे जिस वित्त वर्ष में आय अर्जित होगी, उसी साल कर देना होगा। पहले आकलन वर्ष और कर वर्ष लागू होते थे, जिससे असमंजस बढ़ता था। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष-25 में जो आय हुई, उसका रिटर्न भरते वक्त आकलन वर्ष-26 का चयन करना पड़ता। अब ‘कर वर्ष-25’ का ही चयन करना होगा।


● खुद रहने वाली संपत्ति का क्या?


अगर मालिक खुद उसमें रहता है या किसी कारण से उसमें रह नहीं पाता, तो उसका वार्षिक मूल्य शून्य माना जाएगा। लेकिन यह सुविधा सिर्फ दो घरों तक मिलेगी, जिन्हें करदाता खुद चुनेगा। अगर घर का कोई हिस्सा भी किराये पर दिया गया है, या मालिक को उससे कोई फायदा मिला है, तो यह छूट नहीं मिलेगी।


● कृषि आय का क्या मतलब है?


इसका मतलब है भारत में स्थित उस जमीन से मिलने वाला किराया या आमदनी है, जो कृषि कार्य के लिए इस्तेमाल हो रही हो। नर्सरी में पौधे या पौध तैयार करने से होने वाली आमदनी भी कृषि आय मानी जाएगी।