गोरखपुर: कूटरचित दस्तावेजों के सहारे परिषदीय विद्यालयों में नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों पर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई का सिलसिला जारी है।
अब तक 85 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है, जबकि 83 शिक्षकों पर जिले के अलग अलग थानों में संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों ने मुकदमा दर्ज कराया है। इन शिक्षकों ने दशकों तक कूटरचित दस्तावेज के पर नौकरी कर 39 करोड़ 93 लाख 45433 रूपये वेतन के रूप में डकारे हैं। जबकि, इन फर्जी शिक्षकों से वेतन वसूली धेले भर भी नहीं हुई। इंटर, स्नातक, बीएड या बीटीसी के फर्जी अंकपत्रों की सहायता से शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी करने वाले 74 फर्जी शिक्षकों को विभाग ने बीते दो सालों में बर्खास्त किया है। शासन के निर्देश के बाद
बेसिक शिक्षा विभाग ने राजस्व विभाग के पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने के साथ सूचना दी है। वर्ष 2018-19 से ही बेसिक शिक्षा विभाग को कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वाले शिक्षकों की शिकायतें लगातार मिल रही है।
शिकायत करने वालों में ज्यादातर दूसरे जिलों में तैनात शिक्षक हैं,
जिनके शैक्षणिक दस्तावेज चुराकर फर्जी शिक्षकों ने दशकों तक नौकरी की है। विभाग ने भी शिकायतों का संज्ञान लेकर आरोपी शिक्षकों को निलंबित करते हुए मामले की जांच संबंधित विकासखंड के खंड शिक्षा अधिकारियों को कराई थी। उनकी रिपोर्ट के आधार पर इन्हें बर्खास्त किया गया।
कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वाले 85 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। 83 पर मुकदमा दर्ज है। इनसे रिकवरी की फाइल तैयार कराकर राजस्व विभाग को भेजी गई है। उनसे वार्ता कर कार्रवाई को जल्द पूरा कराया जाएगा। हाल में जिलाधिकारी के द्वारा भी फर्जी शिक्षकों पर मुकदमा और रिकवरी की कार्रवाई को तेज करने का निर्देश मिला है। हर हाल में रिकवरी कराई जाएगी।
आरके सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
वेतन रिकवरी बनी चुनौती
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से बर्खास्त किए गए ज्यादातर फर्जी शिक्षक दूसरे की पहचान और प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी करते हुए पाए गए हैं। ऐसे में उनकी असल पहचान का पता लगाए बिना उनसे वेतन की रिकवरी कर पाना राजस्व विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनने वाली है।