तीन साल बाद हाईकोर्ट लौटा 32022 अनुदेशक भर्ती का विवाद, पढ़ें विस्तृत


बेसिक शिक्षा परिषद के 45 हजार से अधिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षा विषय के 32022 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती का विवाद सुप्रीम कोर्ट ने सवा तीन साल बाद वापस हाईकोर्ट भेजा है।


दस नवंबर के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अनुदेशक भर्ती निरस्त करने के यूपी सरकार के फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को छूट दी है कि वे हाईकोर्ट में याचिका कर सकते हैं। साथ ही हाईकोर्ट से लंबित याचिकाओं में जल्द सुनवाई का अनुरोध किया है। 19 सितंबर 2016 को तत्कालीन सपा सरकार ने 32022 अनुदेशकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी।


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प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद के 45 हजार से अधिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षा विषय के 32022 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती का विवाद सुप्रीम कोर्ट ने सवा तीन साल बाद वापस हाईकोर्ट भेज दिया है। दस नवंबर के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुदेशक भर्ती निरस्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को छूट दी है कि वे हाईकोर्ट में याचिका कर सकते हैं। साथ ही हाईकोर्ट से पहले से लंबित याचिकाओं में जल्द सुनवाई का अनुरोध किया है।

19 सितंबर 2016 को तत्कालीन सपा सरकार ने शारीरिक शिक्षा व खेलकूद के 32022 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इन्हें 11 महीने के लिए सात हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर नियुक्ति मिलनी थी। इसके लिए 1,53,739 बीपीएड, डीपीएड और सीपीएड डिग्रीधारियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। 2017 में हुए चुनाव के बाद सत्ता बदली तो 23 मार्च 2017 को सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रोक दी।

इसके खिलाफ अभ्यर्थियों ने याचिका की जिस पर हाईकोर्ट ने तीन नवंबर 2017 को दो महीने में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया, हालांकि सरकार ने भर्ती शुरू करने की बजाय हाईकोर्ट में स्पेशल अपील दायर कर दिया था। हाईकोर्ट ने 12 अप्रैल 2018 को सरकार की स्पेशल अपील खारिज करते हुए फिर से दो महीने में नियुक्ति का आदेश दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय में पांच अगस्त 2019 को पहली बार इस मामले की सुनवाई हुई थी। बीपीएड बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन्द्र यादव का कहना है कि कानून पर हमें पूरा भरोसा है। 32022 अनुदेशक भर्ती निरस्त करने के सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में नए सिरे से चुनौती देंगे।