इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में याचियों का कहना था कि प्रांतीय रक्षक दल और होमगार्ड सेवाओं का गठन अलग-अलग विभागों के तहत किया गया है। उनसे सामान्य दिनों में भी लोक शांति से संबंधित कार्य व सेवाएं ली जाती हैं। उसी प्रकार होमगार्ड से ली जाती हैं। प्रांतीय रक्षक दल के जवानों को 2013 तक 126 रुपये प्रतिदिन मानदेय मिलता रहा जबकि होमगार्ड के जवानों को 2009 तक 140 रुपये मिलता था, जिसे बढ़ाकर 210 रुपये कर दिया गया। वर्तमान में होमगार्ड का मानदेय 375 रुपये प्रतिदिन से बढ़ा करके 500 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है जबकि प्रांतीय रक्षक दल के जवानों को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वर्तमान में 375 रुपये प्रतिदिन ही मानदेय दिया जा रहा है। होमगार्डों के समान ही सेवा देने और होमगार्डों की ही तरह नियुक्ति प्रक्रिया होने के बावजूद कम मानदेय देना भेदभावपूर्ण व मनमानापूर्ण है।
कोई व्यक्ति न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी पर काम करने को तभी तैयार होता है, जब उसके पास अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने का कोई अन्य विकल्प नहीं होता। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि तीन माह के अंदर पीआरडी जवानों को होमगार्डों के समान मानदेय भुगतान को लेकर आदेश जारी करे।