आजमगढ़। बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के ड्रेस का पैसा इस बार अभिभावकों के बैंक खाते में भेजी जा रही है। अभी हजारों अभिभावकों के खाते में यूनिफार्म का पैसा नहीं पहुंचा है, जिनके खाते में पहुंचा है, उन्होंने खरीद नहीं की है।
बेसिक शिक्षा विभाग के छात्रों के यूनिफार्म, जूते-मोजे और स्वेटर आदि की रकम अभिभावकों के खाते में भेजी जा रही है। बहुत से अभिभावकों के खाते में रकम भेज दी गई है लेकिन तमाम ऐसे भी हैं, जिनके खाते में रकम नहीं पहुंची है। जिनके खाते में पैसे नहीं पहुंचे हैं, वे स्कूलों का चक्कर काट रह हैं। इसके उलट जिनको पैसा मिल रहा है, उन्होंने यूनिफार्म खरीदे ही नहीं है। लिहाजा बच्चे बगैर यूनिफार्म के स्कूल आ रहे हैं। ठंड शुरू हो गई लेकिन बिना स्वेटर, जूता मोजा के स्कूल आ रहे हैं। जिले में कुल 2702 परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। जिसमें 1737 प्राथमिक विद्यालय, 484 उच्च प्राथमिक विद्यालय व कंपोजिट 481 विद्यालय हैं। उक्त विद्यालयों में करीब साढे चार लाख बच्चे पंजीकृत हैं। विभाग अभी 50 फीसदी बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि भेज पाया है।
परिषदीय स्कूलों में नामांकित छात्र छात्राओं को स्वेटर, स्कूल बैग, जूता और मोजा की खरीदारी के लिए अब डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खाते में 1100 रुपये भेजा जा रहा है। लेकिन यह धनराशि उन्हीं अभिभावकों के खाते में गई है, जिनके बैंक खाते आधार से सीडेड और सक्रिय होंगे। अतुल कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
सतरंगी कपड़ों में स्कूल आ रहे नौनिहाल
अहरौला प्राथमिक विद्यालय युधिष्ठिरपट्टी में 108 विद्यार्थी हैं। स्कूल आने वाले किसी बच्चे ने जूते-मोजे नहीं पहने थे और कोई यूनिफार्म में भी नजर नहीं आया। प्रभारी प्रधानाध्यापक हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सभी छात्रों के अभिभावकों का डाटा भेजा गया है लेकिन उनके खाते में पैसा नहीं पहुंचा है। अभिभावक ऋषिकेश, हरकेश, सिरताज व जुम्मन ने बताया पैसे नहीं आए हैं। शिक्षा क्षेत्र कोयलसा में बच्चों के ड्रेस के लिए छह नवंबर को प्रथम चरण में 20 हजार में से 10 हजार बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसा भेजा गया है। खंड शिक्षा अधिकारी श्वेता मौर्या ने बताया कि दूसरे चरण की सूची भी तैयार कर ली गई है। महाराजगंज विकास खंड के इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय प्रतापपुर में कक्षा एक से पांच तक कुल 116 बच्चे हैं। किसी के खाते में पैसा नहीं आया, लिहाजा कारण बच्चे बिना ड्रेस, स्वेटर व जूता-मोजा बैग के ही स्कूल जा रहे हैं।