कुछ साल पहले तक बहुत थोड़े लोग रिटायरमेंट के बाद की आमदनी के लिए एन्युटी (नियमित (आमदनी की वार्षिकी) में रुचि दिखाते थे। पिछले तीन-चार वर्षों में लोग नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) और इससे आमदनी पाने पर काफी ध्यान देने लगे हैं। दुर्भाग्य ये है कि भारत में उपलब्ध एन्युटी की योजनाएं बुढ़ापे में रकम की जरूरत के लिहाज से बहुत अच्छी नहीं हैं। हमारे यहाँ एन्युटी की योजनाएं महंगी और कमजोर हैं, जिन्हें महंगाई से मुकाबला करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। सच यह है कि रिटायरमेंट के बाद बेहतर जीवन पर मंडराने वाला सबसे बड़ा खतरा महंगाई ही है।
यही वजह है कि रिटायर होने वाले सभी व्यक्ति एनपीएस के अलावा आमदनी (चाहे वो निश्चित आय हो या शेयर में निवेश) का दूसरा जरिया तलाश करना जरूरी मानते हैं। यहां तक कि पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथारिटी (पीएफआरडीए) का भी यही कहना है, रिटायर होने वाले व्यक्ति के 40 प्रतिशत रिटायरमेंट फंड का उपयोग एन्युटी खरीदने में उपयोग किया जाना चाहिए। इसी वजह से यह प्लान असल में बचत नहीं होने वाले प्लान की तरह लगने लगा है। हालांकि, पीएफआरडीए भी इस बात को समझ रहा है कि एन्युटी ही इकलौता विकल्प नहीं होना चाहिए। और फिर यह बहुत सही विकल्प हो, ऐसा भी नहीं है।
रिटायरमेंट के शुरुआती वर्षों में रकम निकालने की दर प्रतिशत सालाना से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक दर पर पैसे निकालने से आपका मूलधन घटने का खतरा पैदा होता है। अगर रिटायरमेंट के शुरुआती दिनों में खर्ची पर लगाम लगा सकते हैं, तो बाद में आपको इसका फायदा मिलेगा। मान लीजिए, आपके पास 100 रुपये हैं, और ये आठ प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ रहे हैं। अगर आप हर वर्ष इसमें से छह प्रतिशत राशि यानी छह रुपये निकालत और दो रुपये छोड़ते जाते हैं, तो यह तरीका आने वाले वर्षों में ज्यादा आमदनी हासिल करने में आपकी मदद करेगा।
इसकी जगह सालभर का पूरा ब्याज यानी पूरे आठ रुपये निकाल लेने पर सीधा नुकसान तो नहीं दिखेगा लेकिन मूलधन नहीं बढ़ेगा, जो अच्छा नहीं है। अच्छा इसलिए नहीं है क्योंकि इतना निश्चित है कि 25 वर्षों में आपको आमदनी बढ़ाने की जरूरत होगी। बुढ़ापे में महंगाई और दवा के खर्च के बढ़ने से, ये संभव ही नहीं है कि आने वाले साल में आपकी पैसों की जरूरत कम हो जाए। इसीलिए आपको अपनी ग्रोथ का कुछ हिस्सा छोड़ना ही चाहिए। मैं तो ये कहूंगा, अभी आप जितनी कम रकम निकालेंगे, बाद के साल में उतना ही आराम से रह सकेंगे।
इसलिए आपको अपने निवेश के हिसाब से 15-35 प्रतिशत प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में रखना चाहिए। अगर आपके पास पर्याप्त रकम है तो इक्विटी में कम और सुरक्षित आय के अन्य तरीकों में ज्यादा निवेश कर सकते हैं। एक आदर्श प्लान वो है, जिसमें मौजूदा साल में बढ़ी हुई रकम का अधिकतम 80 प्रतिशत ही खर्च किया जाए। मूलधन में बाकी 20 प्रतिशत जुड़ते रहने से पूंजी बढ़ेगी। इससे बुरे दिनों में आपको कैपिटल या मूलधन से खर्च नहीं करना पड़ेगा।
रिटायरमेंट के बाद सहज-सरल जिंदगी जीने के लिए अपेक्षाकृत अधिक रकम की जरूरत होती है। लेकिन एनपीएस की योजनाएं उतनी रकम मुहैया कराने के लिए कारगर नहीं हैं। ऐसे में एनपीएस से इतर निवेश के साथ-साथ हर वर्ष व्याज से होने वाली आय का उपयोग भी पूरे अनुशासन के साथ करना चाहिए।