तिरपाल वाला स्कूल, यहां छप्पर में बुना जा रहा भविष्य का ताना-बाना, 15 रुपये महीना है किराया


शिक्षा विभाग व्यवस्थाएं सुधारने के भले ही कितने भी दावे करता हो, लेकिन सहारनपुर जिले में एक स्कूल ऐसा भी है जहां पर बच्चे तिरपाल (छप्पर) के नीचे बैठकर भविष्य के ताने-बाने बुनते हैं। जैन समाज की जमीन में चल रहे इस स्कूल का किराया सुनकर आप भी हैरान होंगे। महंगाई के इस दौर में भी बेसिक शिक्षा विभाग हर माह मात्र 15 रुपये किराया जैन समाज को देता है।








1964 में तीन कमरों में शुरू हुआ था स्कूल


वर्ष 1964 में जैन समाज की तरफ से एक विधवा महिला को यहां पढ़ाने के लिए कहा गया था। उस समय यहां पर तीन कमरे थे। जिससे महिला गुजर-बसर कर सके। जैन समाज चिलकाना के अध्यक्ष राकेश जैन ने बताया कि करीब तीन साल बाद सरकार ने इस भवन को किराए पर लेकर सरकारी स्कूल खोल दिया था।




बेसिक शिक्षा विभाग ने पहले प्राथमिक और फिर उच्च प्राथमिक का दर्जा दे दिया। जैन समाज की जमीन होने के नाते तय हुआ कि बेसिक शिक्षा विभाग 15 रुपये महीना इसका किराया देगा। जो जैन समाज के मंदिर के खाते में जाता है। आज भी किराया 15 रुपये महीना ही है।



टीन शेड में रखते हैं रिकॉर्ड

करीब 20 वर्ष पहले इस स्कूल की इमारत धीरे-धीरे गिरने लगी थी। स्थिति यह है कि स्कूल के तीनों कमरों की छत गिर चुकी है। एक कमरे की छत पर बारिश से बचने के लिए तिरपाल लगाई गई थी, जो जर्जर हालत में हो चुकी है।



एक कमरे में रिकॉर्ड रखने के लिए टीन शेड डाला गया है। स्कूल में बिजली न होने से सोलर प्लेट लगाकर तीन पंखे चलाए जाते हैं। वर्षा तथा धूप से बचाव के लिए बच्चों को तिरपाल के नीचे बैठाया जा रहा है। फिलहाल स्कूल में 183 बच्चे हैं। इस स्कूल में प्राथमिक वर्ग में पांच शिक्षक, जबकि जूनियर वर्ग में दो शिक्षक हैं।





बारिश में करनी पड़ती है छुट्टी : प्रधानाध्यापक

प्रधानाध्यापक आरिफ रजा ने बताया कि वह 15 साल से इसी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। तभी से स्कूल की हालत सुधारने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एसडीएम सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री को स्कूल की हालत से अवगत कराया जा चुका है। भवन के अभाव में हर वर्ष बच्चे स्कूल से नाम कटवाकर दूसरे स्कूलों में जाने लगे हैं। तेज हवा और बारिश के कारण छुट्टी करनी पड़ती है।



 

आज भी मिलता है 15 रुपये मासिक किराया : अध्यक्ष

जैन समाज चिलकाना के अध्यक्ष राकेश जैन ने बताया कि सरकार ने इस स्कूल के भवन को बिना किसी सूचना के अपने अधीन कर लिया था। कस्बे में कुछ स्थान शिक्षा विभाग को स्कूल स्थानांतरित करने के लिए दिखाई गई, लेकिन वह सभी जगह विभाग को पसंद नहीं आई है। आज भी 15 रुपये मासिक किराया ही मिलता है।



चिलकाना में आयुष विभाग की कुछ जमीन खाली है, जिस पर इमारत तैयार कर स्कूल को वहां शिफ्ट किया जाएगा। इस संबंध में जिलाधिकारी की तरफ से आयुष मंत्रालय को चिट्ठी लिखी गई है, जिसका अभी तक जवाब नहीं आया है। - वैभव जैमिनी, जिला समन्वयक निर्माण बेसिक शिक्षा विभाग