आयकर के नोटिस को हल्के में लिया तो हो जाएगी जांच

 लखनऊ। आयकर विभाग की नोटिसों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने स्क्रूटनी को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत संदिग्ध इनकम टैक्स रिटर्न की स्क्रूटनी अनिवार्य की गई है। इस संबंध में सभी चीफ कमिश्नरों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।


बोर्ड ने स्क्रूटनी के संबंध में कई मानक तय किए हैं। सर्वे यानी आयकर जांच के सभी मामलों में स्क्रूटनी अनिवार्य कर दी गई है। छापे और सीजर के केस स्क्रूटनी के लिए 15 दिन के अंदर सेंट्रल सर्किल को ट्रांसफर करना होगा।




दरअसल, छापों से जुड़े कामकाज को सेंट्रल सर्किल विभाग देखता है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति दिल्ली के पते से आईटीआर भरता है। पत्नी मुंबई के पते और बेटा जालंधर के पते से आईटीआर दाखिल करता है। ऐसे मामलों में पूरे परिवार की फाइल


सेंट्रल सर्किल में ट्रांसफर की जाएगी। छापा मारने के बाद अधिकतम 90 दिन के अंदर आयकर विभाग अप्रेजल रिपोर्ट बनाता है। ये रिपोर्ट रिटर्न फाइल करने वाले क्षेत्र के अधिकारी के पास जाएगी। वहां से सेंट्रल सर्किल में जाएगी। वहां पर अनिवार्य स्क्रूटनी का फैसला किया जाएगा।


ऐसे मामले भी अनिवार्य स्क्रूटनी के दायरे में आ जाएंगे, जिसमें रिटर्न फाइल नहीं किया गया या टैक्स चोरी की सूचना विभाग के पास है। इसी तरह जहां कोई आयकर छूट गलत ली है तो भी अनिवार्य स्क्रूटनी के दायरे में आ जाएंगे।


खास बात ये है कि ऐसे मामलों को अनिवार्य स्क्रूटनी में लेने से पहले प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर या डायरेक्टर जनरल से अनुमति लेनी होगी। खासतौर पर उन मामलों में, जहां छापा और सर्वे हो चुका हो।


ऐसे केस, जो स्क्रूटनी में लेि लिए गए हैं, उन्हें नेशनल फेसलैस असेसमेंट सेंटर को ट्रांसफर करना होगा। वहां से करदाता को एक स बार फिर नोटिस जारी की जाएगी। व जो केस पहली बार स्क्रूटनी में शामिल किए गए हैं। उन्हें आयकर विभाग को 30 जून 2024 तक नोटिस जारी करना होगा। 30 जून के बाद उन्हें स्क्रूटनी में शामिल नहीं किया जा सकेगा.