लखनऊ, पावर कॉरपोरेशन ने सोमवार को नियामक आयोग में बिजली कंपनियों के वास्तविक आय-व्यय के आंकड़े दाखिल किए हैं। 19,600 करोड़ के राजस्व अंतर के आधार पर कॉरपोरेशन ने नई बिजली दरों में 30 फीसदी इजाफे का अनुमान लगाया है। कॉरपोरेशन ने आयोग से वास्तविक आंकड़ों के आधार पर बिजली दरों के संबंध में उचित निर्णय लेने का आग्रह किया है। ऊर्जा क्षेत्र इतिहास में इसे सबसे बड़ी बढ़ोतरी के प्रस्ताव के तौर पर देखा जा रहा है।
बैलेंस शीट, कैश फ्लो की स्थिति रखी : पावर कॉरपोरेशन के मुताबिक, दरें तय करने के लिए अब तक निर्धारित मानकों, प्रतिबंधों के साथ वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल की जाती थीं, जिसमें तमाम खर्च छुप जाते थे। लिहाजा दरें तय करने के लिए बिजली कंपनियों की बैलेंस शीट, कैश फ्लो की वास्तविक स्थिति रखी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में बिजली कंपनियों की बिजली बिलों के सापेक्ष 88% ही वसूली रही, इससे सरकार से सब्सिडी के बाद भी 2023-24 में राजस्व अंतर 4,378 करोड़ के बजाय 13,542 करोड़ हो गया था। वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी घाटा 19,600 करोड़ रहने के आसार हैं।
100% वसूली अव्यावहारिक: कॉरपोरेशन ने कहा है कि बिजली बिलों की 100 फीसदी वसूली अव्यावहारिक है, लिहाजा वास्तविक आंकड़ों का ही इस्तेमाल होना चाहिए। कॉरपोरेशन ने 10 साल में 70,792 करोड़ रुपये का निवेश इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने और उपभोक्ता सेवा सुधार पर खर्च किए पर सफलता नहीं मिली। ट्रांसफॉर्मरों की क्षतिग्रस्तता 10% से ज्यादा है।