स्कूल जाने के बजाए बीएसए-बीईओ दफ्तर में डटे शिक्षक, विभागीय अफसरों की मेहरबानी से नहीं होती कार्रवाई

 

पढ़ाने की बजाय कार्यालय के कामकाज में लेते दिलचस्पी 
रायबरेली बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत कई ऐसे अध्यापक हैं, जो किसी न किसी वजह से बीएसए दफ्तर या बीईओ कार्यालय में डटे रहते हैं। कुछ संबद्ध किए गए हैं तो कुछ शिक्षक अफसरों की मेहरबानी के चलते स्कूल जाने के बजाए कार्यालय में कामकाज निपटाने के लिए लगे रहते हैं। ऐसे में विद्यालय का पठन-पाठन प्रभावित है, फिर भी विभागीय अधिकारी आंख बंद किए हुए हैं। कोई कार्रवाई न किए जाने से ऐसे शिक्षकों पर अंकुश नहीं लग पाता है।


जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की बात करें तो यहां भी कई शिक्षक अक्सर अलग-अलग पटल पर बैठे नजर आते हैं। कहने को इन शिक्षकों को विद्यालय जाकर बच्चों की पढ़ाना चाहिए, लेकिन सुबह से लेकर शाम तक दफ्तर में नजर आते हैं। इसके अलावा कई शिक्षक दूसरे कार्यों में ड्यूटी लगी होने के कारण जिला मुख्यालय में ही डटे रहते हैं। यही हाल खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में नजर आता है। तकरीबन हर ब्लॉक में दो चार शिक्षक ऐसे है, जो अक्सर बीईओ कार्यालय में ही दिखाई देते हैं। विभागीय अफसरों की मेहरबानी इन शिक्षकों पर रहती है, जिससे इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने इस संबंध में मंडलोय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) पीएन सिंह को पत्र सौंपा जिसे गंभीरता से
लेते हुए एडी बेसिक ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर शिक्षकों का संबद्धीकरण तत्काल समाप्त किए जाने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद जिले के विभागीय अफसर चेत नहीं रहे हैं। बीएसए बीईओ कार्यालय में डटे रहने वाले शिक्षकों पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा है। इसके अलावा विद्यालय अवधि के दौरान अक्सर शिक्षक विद्यालय से गायब रहते हैं या फिर कोई न कोई बहाना बनाकर कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं। 
परिषदीय विद्यालयों के 66 अध्यापकों का बेसिक शिक्षा कार्यालयों में संबद्ध होना कतई उचित नहीं है। अगर कहीं कोई शिक्षक किसी कार्यालय में संबद्ध है तो उनका संबद्धीकरण तत्काल समाप्त किया जाए पीएन सिंह, एडी बेसिक