आज आएगा बजट, करदाताओं को मिल सकती हैं यह सौगातें

कोरोना महामारी और अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने की चुनौती के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में

टैक्स स्लैब में बदलाव


60 साल से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए अभी 2.5 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है। इस सीमा में वित्त वर्ष 2014-15 से कोई बदलाव नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा देने के लिए सरकार टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर सकती है। इससे करदाताओं की संख्या भी बढ़ सकती है।

वर्क फ्रॉम होम खर्च पर टैक्स छूट की उम्मीद

कोरोना के दौरान बड़ी संख्या में कंपनियों ने घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) को प्राथमिकता दी थी। इसके लिए कर्मचारियों ने घर पर ऑफिस बनाया था। कई कंपनियों ने ऑफिस से जुड़ा सामान जैसे कुर्सी, मेज, इंटरनेट, लैपटॉप-डेस्कटॉप खुद मुहैया कराया था। कुछ ने ऐसे खरीद पर री-इंबर्समेंट दिया था। रि-इंबर्समेंट पर टैक्स छूट नहीं है। ऐसे में वित्तमंत्री वर्क फ्रॉम होम करने वाले कर्मियों को 50 हजार के डिडक्शन का विकल्प दे सकती हैं।



वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश

करेंगी। बजट में टैक्स छूट, बचत सीमा में बढ़ोतरी व आम आदमी से जुड़ी बड़ी घोषणाएं होने की उम्मीद जताई जा रही है। वित्त मंत्री नौकरीपेशा करदाताओं को कई सौगातें दे सकती हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि वित्त मंत्री कौन-कौन सी घोषणाएं कर सकती हैं।

एलटीसी स्कीम की वापसी

वित्त मंत्री ने मांग में तेजी लाने के लिए अक्टूबर 2020 में यात्रा भत्ता कैश वाउचर स्कीम लॉन्च की थी। प्रतिबंधों से पसंद की जगहों पर यात्रा नहीं हो पा रही। उम्मीद है कि यह स्कीम 31 मार्च 2023 तक के लिए बढ़ सकती है।

80सी में छूट में बढ़ोतरी
आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 80सी में विभिन्न प्रकार के निवेश और खर्चों पर टैक्स छूट का प्रावधान है। अभी 80सी के तहत 1.50 लाख रुपए तक के निवेश-खर्च पर टैक्स में छूट है। मौजूदा आर्थिक हालातों को देखते हुए अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए सरकार 80सी के तहत टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपए तक कर सकती है।

स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि
वित्त वर्ष 2018-19 में नौकरीपेशा को

राहत देने के लिए 50 हजार के एक मुश्त स्टैंडर्ड डिडक्शन की घोषणा की गई थी। इसको मेडिकल री-इंबर्समेंट और ट्रेवल अलाउंस के रूप में मिलने वाले पैसे को छूट के रूप में देखा गया था। तब से लेकर अभी तक इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। कोरोना के कारण स्वास्थ्य खर्च बढ़ गया है। ऐसे में सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाकर एक लाख कर सकती है।

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