प्रतापगढ़। बीएड के प्रति छात्र-छात्राओं का क्रेज बढ़ा है, वहीं डीएलएड में दाखिले को लेकर सत्र 2021-22 में छात्र-छात्राओं ने रुचि नहीं दिखाई है। छात्र-छात्राओं के दिलचस्पी न लेने के कारण इस बार जिले में डीएलएड की 50 फीसदी सीटें खाली रह गई।
प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय से संबद्ध जिले के 80 कॉलेजों में बीएड पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिनमें कुल आठ हजार सीटें हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं ने दाखिला लेने में अधिक दिलचस्पी दिखाई। पहली काउंसलिंग में ही जिले की 80 फीसदी सीटों पर दाखिले की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। बची हुई 20 फीसदी सीटों पर दाखिला दूसरी काउंसलिंग में पूरा कर लिया गया। इस बार कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की 10 फीसदी सीटें भी भर ली गईं। एक तरफ जहां बीएड में दाखिले को लेकर छात्र- छात्राओं ने रुचि दिखाई है, वहीं डीएलएड से उनका मोहभंग होता जा रहा है। सत्र 2021- 22 में जिले के 84 कॉलेजों की लगभग आठ
हजार सीटों में मात्र 50 फीसदी सीटों पर ही दाखिला हो सका। दोबारा दाखिले के लिए अवसर दिए जाने के बावजूद कॉलेज संचालकों को प्रवेश के लिए अभ्यर्थी नहीं मिले। कॉलेज संचालकों का कहना है कि बीएड दाखिले में उन्हें इस बार समस्या का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन डीएलएड में तगड़ा झटका लगा है।
बीएड वालों को ज्यादा अवसर
पीबीपीजी कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि बीएड के छात्रों को प्राइमरी, जूनियर के साथ टीजीटी और एलटी शिक्षक बनने का मौका रहता है। जबकि डीएलएड छात्र सिर्फ प्राइमरी और जूनियर के ही शिक्षक बन सकते हैं। यही नहीं, बीएडधारकों को पीजीटी में भी छूट मिलती है।
बीएड की सभी सीटों पर दाखिला हो चुका है। इंडब्ल्यूएस की सीटें इस सत्र में आने के कारण कुछ परेशानी हुई थी, लेकिन दूसरी काउंसलिंग में सभी सीटें भर ली गईं। पिछले सत्र की तुलना में इस बार समय से पहले ही दाखिले की प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
दीप्ती मिश्रा, उपकुलसचिव राज्य विवि
जिले में डायट सहित कुल 84 कॉलेजों में डीएलएड पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है। इस बार डायट में ही सभी सीटों पर दाखिला हो सका है। जबकि अन्य कॉलेजों में 50 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं। अमरेंद्र मिश्र, प्रवक्ता, डायट