शहर की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था बदहाल, अधिकांश स्कूल एक शिक्षक के सहारे

फतेहपुर। चुनावी बयार है और शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास के बड़े-बड़े दावों की हवा बह रही है। जनपद मुख्यालय के शिक्षा व्यवस्था पर ही नजर डालें तो शहर की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था बदहाल है।

शहर के 10 परिषदीय स्कूल शिक्षक विहीन हैं। अधिकांश स्कूल एक शिक्षक के सहारे संचालित हैं। ऐसे में पढ़ाई के नाम पर बच्चे सिर्फ एमडीएम खाने तक सीमित है। पिछले एक दशक से नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से यह समस्या पैदा हुई है।


शहर में सरकारी प्राथमिक शिक्षा ध्वस्त है। शहर में कुल 36 परिषदीय स्कूल हैं। इनमें 20 प्राथमिक, 15 कंपोजिट और एक उच्च प्राथमिक स्कूल शामिल है। एक कंपोजिट और नौ प्राथमिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं।
यह स्कूल रसोइयां सुबह समय से खोलती हैं। बच्चे भी स्कूल आते हैं, लेकिन शिक्षक न होने के कारण पठन-पाठन नहीं होता। जिन स्कूलों की रसोइयां कुछ पढ़ी लिखी हैं, वह एमडीएम बनने तक बच्चों को थोड़ा बहुत पढ़ाती रहती हैं, लेकिन एमडीएम खाने के बाद बच्चे स्वयं घर चले जाते हैं।
शिक्षक विहीन स्कूलों में कंपोजिट स्कूल अस्ती कालोनी के अलावा प्राथमिक अंदौली, प्राथमिक पीरनपुर, प्राथमिक चौक, प्राथमिक पनी द्वितीय, प्राथमिक महाजरी, प्राथमिक बेरुईहार, प्राथमिक सरांय मीना शाह, प्राथमिक शेषपुर उनवां, प्राथमिक स्कूल लोटहा शामिल हैं।
इनके अलावा एक दो स्कूलों को छोड़ दिए जाएं, तो ज्यादातर में सिर्फ एक शिक्षक की तैनाती है। ऐसे में नगर क्षेत्र की शिक्षक विहीन प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा की स्थिति साफ दिखाई पड़ रही है।
बीएसए संजय कुशवाहा का कहना है कि नगर क्षेत्र में शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक है। यही कारण है कि शहर में कई स्कूल शिक्षक विहीन हैं। फिर भी अन्य स्कूलों में तैनात शिक्षक समय निकालकर ऐसे स्कूलों में पहुंचते हैं। इसके लिए बराबर शासन को लिखा जा रहा है।
राधानगर निवासी विधान का कहना है कि चुनाव के इस दौर में सभी पार्टियों ने नेता विकास की बातें कर रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था कमजोर की जा रही है।
आदर्शनगर निवासी अखिलेश यादव का कहना है कि शासन ने नगर क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था न करके ऐसे परिवारों के विकास में अवरोध पैदा कर रहा है। स्कूल सिर्फ मिड-डे मील के लिए चल रहे हैं।
आवास विकास निवासी पप्पू गुप्ता का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय विद्यालय में मानक से अधिक शिक्षकों की व्यवस्था है। नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों का टोटा जनप्रतिनिधियों को दिखाई नहीं पड़ रहा।
सिविल लाइन निवासी आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि कहने के लिए तो उनका दाखिला स्कूल में है, लेकिन शिक्षक विहीन स्कूल में बच्चे को शिक्षा ही नहीं मिल रही। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।