PRIMARY KA MASTER NEWS:-; कुछ विद्यालयों तक सिमटा 'कायाकल्प', जिले के 1247 स्कूलों में से केवल 212 में ही डेस्क-बेंच उपलब्ध


जिले के 1247 परिषदीय स्कूलों में से मात्र 212 में ही डेस्क-बेंच उपलब्ध, 107 मॉडल विद्यालयों में भी सुविधाओं का टोटा
संतकबीरनगर। परिषदीय विद्यालयों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित करने के लिए चलाई गई कायाकल्प योजना कुछ विद्यालयों तक ही सीमित रह गई। विद्यालयों में छात्रों के बैठने के लिए डेस्क-बेंच तक उपलब्ध नहीं कराया गया। जिले के 1247 परिषदीय विद्यालयों में मात्र 212 स्कूलों में डेस्क-बेंच उपलब्ध हैं। जबकि 1035 स्कूलों में छात्र जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। इससे मॉडल स्कूल का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है।



जिले में 1247 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें 192 उच्च प्राथमिक और 805 प्राथमिक विद्यालय हैं। साथ ही 250 विद्यालय कंपोजिट हो चुके हैं। इन विद्यालयों में 212 स्कूलों के पास डेस्क-बेंच उपलब्ध है, जबकि 1035 स्कूलों में डेस्क- बेंच नहीं है। इन विद्यालयों में

करीब एक लाख पांच हजार विद्यार्थी जमीन पर बैठकर पढ़ाई

करते हैं 107 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम का मॉडल विद्यालय बनाया जा चुका है।

इन विद्यालयों में कायाकल्प योजना के तहत टायल्स आदि लगाने का कार्य किया गया है। इन विद्यालयों पर आने वाले छात्र अब

भी जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। सरकार परिषदीय स्कूल के छात्रों को जूता-मोजा, ड्रेस, स्वेटर पुस्तक आदि निशुल्क उपलब्ध कराती है। छात्र जूता मोजा पहनकर आते हैं और स्कूल में जूता निकालना पड़ता है। कारण कि पढ़ाई तो जमीन पर बैठकर करनी है। इसकी बानगी मॉडल प्राथमिक विद्यालय खलीलाबाद प्रथम पर देखने को मिली।

यह विद्यालय चार साल पूर्व मॉडल बनाया गया था, यहां पर छात्र जमीन पर बैठक कर शिक्षा ग्रहण करते हैं। यही हाल जिले के अन्य मॉडल विद्यालयों का है। जहां पर डेस्क-बेंच नहीं दिया गया। जबकि

शासन ने इन स्कूलों में बेहतर पठन पाठन का निर्देश दिया था और हर संसाधन उपलब्ध कराने को कहा था। सरकार की मॉडल स्कूल बनाने की योजना धरातल पर नहीं दिख रही है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार भी इस ओर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। संवाद

शिक्षकों ने खुद की रकम से खरीदे डेस्क- बेंच

मॉडल प्राथमिक विद्यालय खलीलाबाद प्रथम की प्रधानाध्यापिका इंदू यादव ने बताया कि उनके विद्यालय को मॉडल विद्यालय बनाया गया था, कुछ डेस्क बॅच वह अपने पैसे से खरीदी थी, पर इतनी संख्या में छात्रों के लिए डेस्क -बॅच •खरीदना संभव नहीं है। फिर भी जो संसाधन उपलब्ध है, उसमें छात्रों को बेहतर सुविधा दी जाती है। इसी तरह मॉडल प्राथमिक विद्यालय बूधाबांध के प्रधानाध्यापक विनोद यादव ने बताया कि चार साल पहले उनका विद्यालय मॉडल विद्यालय के रूप में चयनित हुआ विभाग ने डेस्क-बेंच उपलब्ध नहीं कराया। खुद के पैसे से किसी तरह डेस्क-बेंच बनवाया है। उस पर छात्र बैठकर पढ़ाई करते

मॉडल विद्यालयों में हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराने का विभाग प्रयास कर रहा है। कुछ विद्यालयों को बेहतर बनाया गया है। जहां पर सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, वहां पर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। पंचायती राज विभाग के जरिए विद्यालयों का कायाकल्प कराया जा रहा है। हर विद्यालय में बेहतर पढ़ाई हो, इसके लिए सभी को निर्देशित किया जा चुका है। -दिनेश कुमार, बीएसएहैं।