13 February 2022

घर में शादी है, रात को लगती है ठंड साहब…., कैसे करें चुनाव ड्यूटी ?

सिद्धार्थनगर।

विधानसभा चुनाव में ड्यूटी कटवाने के लिए कर्मचारी अधिकारियों के सामने तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। सीडीओ और डीडीओ ऑफिस के सामने रोजाना दर्जनों कर्मचारी अपनी फरियाद लेकर पहुंचता है और चुनाव ड्यूटी कटवाने के लिए प्रार्थना पत्र दे रहा है। चुनाव ड्यूटी कटवाने में सबसे ज्यादा हथकंडे अपनाने में जैसे कि मेरे रिटायरमेंट के मात्र एक साल हैं, मैं बहुत बुजुर्ग हूं, काम करने में अक्षम हूं, मेरा बच्चा बहुत छोटा है, चुनाव ड्यूटी करने में असमर्थ हूं। घर में शादी हैं, कैसे ड्यूटी करें। इस प्रकार के अब तक सात सौ आवेदन आ चुके हैं।






चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारी तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कोई गंभीर रोग तो कोई चलने में अपने असमर्थ बताते हुए आवेदन किया है। अब तक 700 कर्मियों ने चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने का आवेदन कर रखा है। चुनावी ड्यूटी से मुक्त करने के लिए अलग-अलग विभागों के इन कर्मचारियों ने सीडीओ और डीडीओ के पास आवेदन दिया है। एक कर्मचारी ने अपने को गंभीर रोगों से ग्रस्त बताते हुए आवेदन में उल्लेख किया है कि इसके चलते वह चुनावी कार्य को पूरी तत्परता के साथ नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा अधिकांश कर्मियों ने भी कोई न कोई स्वास्थ्य खराब होने का ही उल्लेख किया है। हालांकि अधिकारियों की ओर से सभी मामलों की जांच कराई रही है। अधिकारियों का मानना है कि जब इतने ही गंभीर हालात हैं तो वह कार्यालय का काम कैसे करते होंगे। अधिकारियों के तेवर को लेकर आवेदन करने वाले कर्मियों में खलबली मची है।



मेडिकल बोर्ड की संस्तुति पर मिलेगी मुक्ति


बीमार कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्ति के लिए जिला अस्पताल में गठित मेडिकल बोर्ड की टीम से गुजरना होगा। टीम की ओर से अक्षम साबित होने पर ही चुनाव कार्य से मुक्त किया जाएगा। टीम के समक्ष ऐसे भी मामले आ रहे हैं, जो तत्काल जिला अस्पताल से पर्ची कटवाकर अपने को बीमार बताकर रिपोर्ट लगवाना चाह रहे हैं। ऐसे लोगों पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। टीम में फिजीशियन डॉ. संजय कुमार, आर्थों सर्जन डॉ. विमल द्विवेदी, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संगीता पांडेय शामिल हैं।



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विधानसभा चुनाव की ड्यूटी से मुक्त करने के लिए आ रह आवेदनों पर विचार किया जा रहा है। गंभीर बीमारी पर मेडिकल बोर्ड की संस्तुति मान्य है। अन्य समस्या पर विभागाध्यक्ष से जांच-पड़ताल कराकर निर्णय लिया जा रहा है।



शेषमणि सिंह, जिला विकास अधिकारी