विडंबना! गलती किसी की भी हो जिम्मेदार शिक्षक ही


गलती किसी की भी हो जिम्मेदार शिक्षक ही होता है।

इस समय बड़ी अजीब स्थिति पैदा हो गयी है पता नहीं अनजाने में हुई है या जानबूझकर पैदा की गई है? पिछले वर्ष विद्यालयों में नामांकन की उम्र 6 वर्ष से घटा कर 5 वर्ष कर दिया गया था जिसके कारण बड़ी मात्रा ने नामांकन हुए,पर इस बार पुनः नामांकन की उम्र 6 वर्ष कर दिया गया है।

अब इन बातों के गंभीर परिणाम समझिए-

पिछले वर्ष नामांकन की उम्र 5 वर्ष कर दी गयी तो उस समय जो भी 5 वर्ष के बच्चे थे उनका नामांकन हो गया, इस बार उम्र 6 वर्ष कर दी गयी तो सोचिये नए एडमिशन कहां से होंगे? जो इस बार 6 वर्ष का हो रहा है वो तो पिछले वर्ष ही नामांकित हो चुका है जब वो 5 वर्ष का था। अतः इस बार नामांकन में भारी गिरावट आयी है।

इस बार नामांकन की उम्र 6 वर्ष होने के कारण शिक्षक उन बच्चों का एडमिशन नहीं कर पा रहे हैं जो कि पिछले वर्ष 4 वर्ष के थे और इस बार 5 वर्ष होने पर उनका एडमिशन होना था।

हम 6 वर्ष से कम बच्चे का एडमिशन नही कर पा रहे है वही दूसरी ओर बगल के निजी विद्यालयों में 4 वर्ष से ही एडमिशन लिए जा रहे हैं।

मतलब आज जो 5 वर्ष का उसका एडमिशन हम नहीं कर रहें है वो तो किसी निजी विद्यालयों में नामांकित हो रहे हैं, अगले वर्ष जब वो 6 वर्ष के होंगे और हम एडमिशन के लिए जाएंगे तो पता चलेगा कि वो तो पड़ोस वाले निजी विद्यालय में 1 वर्ष पूर्व ही नामांकित हो चुका है।


मतलब एक बदलाव से इस वर्ष भी नामांकन प्रभावित होगा और अगले वर्ष भी प्रभावित होगा जिसके परिणाम होंगे कि 40% से अधिक स्कूल 100 से नीचे की संख्या वाले हो जाएंगे और लगभग 25% स्कूल में 50 बच्चे ही बचेंगे और यह स्थिति कितनी गंभीर होगी इसे समझना इतना आसान नहीं होगा।

एक लाइन में कहूँ तो 2 वर्ष नामांकन न होना किसी भी स्कूल को तोड़ देने के लिए काफी है।
गलती शिक्षक की नहीं होगी पर दोषी शिक्षक ही बनाया जाएगा।